एक के बाद एक देश भारत का गेंहू लौटा रहे है. अफ्रीकी देश मिस्र ने करीब 55,000 टन गेंहू को अपने यहां एंट्री देने से मना कर दिया, इसके पहले तुर्की ने भी भारतीय गेंहू में रूबेला वायरस पाए जाने की शिकायत को लेकर इस खेप को लेने से मना कर दिया था. वही दूसरी तरफ देखे तो सरकार ने गेंहू निर्यात के नियमों को और कड़ा कर दिया है.
गेंहू निर्यात पर बैन के नियम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने गेंहू के एक्सपोर्ट के लिए लेटर्स ऑफ क्रेडिट जारी करने की प्रोसेस को थोड़ा कड़ा कर दिया है. इसके लिए कई चरण की स्क्रूटनी प्रोसेस लागू की गई, ताकि केवल उन्हीं निर्यात ऑर्डर के लिए एलसी जारी हों जो सरकार के मई महीने में गेंहू निर्यात पर लगाए गए बैन के नियमों के अनुकूल हों. इस प्रक्रिया को और कड़ा बनाने के लिए आंतरिक कमेटी भी बनाई गई है.
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आखिर क्यों बैन करना पड़ा निर्यात
सरकार इस बैन के माध्यम से घरेलू जरूरत को पूरा करना, बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करना और पड़ोसी एवं जरूरतमंद देशों की मदद करेगी. अब सरकार की ओर से केवल उन्हीं एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा करने की अनुमति है जिनके लिए 13 मई से पहले लेटर्स ऑफ क्रेडिट (LC) जारी हो चुके हैं. बाकी अन्य पड़ोसी और जरूरतमंद देशों को गेहूं का एक्सपोर्ट सरकारों के बीच डील से होगा. हाल ही में पीयूष गोयल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि सरकार की इस बैन खत्म करने की तत्काल कोई मंशा नहीं है.
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