दिल्ली. भारतीय कमाई में सालाना बढ़ोतरी के दोगुनी रफ्तार से कर्ज ले रहे हैं। यह भारतीयों की बढ़ती आय का तो संकेत है ही, साथ ही उनमें बचत की बजाय ज्यादा खर्च करने के रुख का भी संकेत दे रहा है। भारतीय अब अगली पीढ़ी के लिए बचत करने की बजाय खुद पर खर्च करने की पश्चिमी देशों की प्रवृत्ति को तवज्जो देने लगे हैं। वे देश ही नहीं विदेश में सैर-सपाटे, सौंदर्य प्रसाधनों और विलासितापूर्ण सामानों के लिए बेधड़क कर्ज ले रहे हैं।
खर्च की यह प्रवृत्ति दिखाती है कि साल दर साल खुदरा कर्ज तेजी से बढ़ रहा है। लोन लेने वाले ग्राहकों की संख्या की अपेक्षा लोन की रकम में भारी इजाफा हो रहा है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच साल में लोन की रकम औसतन 16.4 फीसदी की दर से बढ़ी है, जबकि लोन खातों की संख्या में महज 7.5 फीसदी इजाफा हुआ है।
भारतीय घरेलू सामानों की जरूरतों, घरेलू-अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट या होटल बुकिंग, लग्जरी उत्पादों पर दिल खोलकर खर्च कर रहे हैं। नो कॉस्ट ईएमआई, बिना प्रोसेसिंग फीस जैसी सुविधाओं की वजह से भारतीय तेजी से अपनी जरूरतों को पूरा करने में जुटे हैं।
सरकारी बैंक जहां बड़ी कंपनियों के फंसे कर्ज को लेकर परेशान हैं। वहीं खुदरा कर्ज यानी व्यक्तिगत तौर पर दिए गए पर्सनल लोन, ऑटो लोन आदि का फंसा कर्ज काफी कम है। यह कुल एनपीए का महज दो प्रतिशत है। क्रेडिट स्कोर की वजह से लोगों तक कर्ज की पहुंच बढ़ी है। ऑटो लोन में जहां 13 फीसदी की बढ़ोतरी इस वित्तीय वर्ष में हुई है, वहीं रियल इस्टेट बाजार में मंदी के चलते होम लोन में ज्यादा उछाल नहीं आया है।