Swiss Bank: केंद्र की मोदी सरकार काला धन (Black Money) पर शिकंजा कसने और स्विस बैंकों में जमा भारतीय काला धन को लाने के लिए कितने भी दावे कर ले लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जी हां… स्विस बैंक में भारतीयों का पैसा तीन गुना बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक स्विटजरलैंड के बैंकों में भारतीयों का पैसा 2024 में तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया है। अब यह लगभग ₹37,600 करोड़ तक पहुंच गया है। स्विस नेशनल बैंक (SNB) के आंकड़ों के अनुसार, यह 2021 के बाद सबसे ज्यादा है। स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में भारत पिछले साल के 67वें स्थान से बढ़कर 48वें स्थान पर पहुंच गया है।

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हालांकि, भारतीयों के ग्राहक खातों में जमा धन केवल 11 प्रतिशत बढ़ा है। यह 34.6 करोड़ स्विस फ्रैंक (लगभग 3,675 करोड़ रुपये) रहा। यह कुल धन का लगभग दसवां हिस्सा है।

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इससे पहले, 2023 में भारत के लोगों और कंपनियों की ओर से स्विस बैंकों में जमा धन में 70 प्रतिशत की गिरावट की आई थी और यह चार साल के निचले स्तर 1.04 अरब स्विस फ्रैंक पर आ गया था। इसमें स्थानीय शाखाओं और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से रखी जमा राशि शामिल है।

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2021 में टूटा था 14 साल की रिकॉर्ड

बीते वर्ष की जमा राशि 2021 के बाद से सबसे अधिक है। उस समय स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि 14 साल के उच्चतम स्तर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक पहुंच गई थी। ये स्विस नैशनल बैंक (एसएनबी) को बैंकों से मिले आधिकारिक आंकड़े हैं। इसे स्विट्जरलैंड में रखे गए भारतीयों का काला धन नहीं माना जाना चाहिए। इन आंकड़ों में वह राशि भी शामिल नहीं है जो भारतीयों, एनआरआई या अन्य लोगों ने तीसरे देश की संस्थाओं के नाम पर स्विस बैंकों में रखी हो सकती है।

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बीआईएस के मुताबिक 6% बढ़ा भारतीयों का फंड

दूसरी ओर, बैंक फॉर इंटरनैशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के स्थानीय बैंकिंग आंकड़ों ने 2024 के दौरान ऐसे कोष में लगभग छह प्रतिशत की वृद्धि दिखाई और यह 7.48 करोड़ अमेरिकी डॉलर (लगभग 650 करोड़ रुपये) रही। पूर्व में बैंक फॉर इंटरनैशनल सेटलमेंट के इन आंकड़ों को भारतीय और स्विस अधिकारियों की ओर से स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तियों की जमा राशि के लिए अधिक भरोसेमंद माना जाता था। आंकड़ों के अनुसार, 2020 में लगभग 39 प्रतिशत की वृद्धि के बाद 2023 में इसमें 25 प्रतिशत, 2022 में 18 प्रतिशत और 2021 में 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी। यह आंकड़ा स्विस बैंकों के भारतीय गैर-बैंक ग्राहकों के जमा और कर्जों को ध्यान में रखता है और 2018 में 11 प्रतिशत और 2017 में 44 प्रतिशत की गिरावट के बाद 2019 में सात प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वर्ष 2007 के अंत में यह 2.3 अरब डॉलर (9,000 करोड़ रुपये से अधिक) के उच्चस्तर पर पहुंच गया था।

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ब्रिटेन का सबसे ज्यादा पैसा जमा
ब्रिटेन सबसे ज्यादा 222 बिलियन स्विस फ्रैंक जमा करके टॉप पर है। वहीं, यानी सबसे ज्यादा पैसा ब्रिटेन का जमा है। अमेरिका 89 बिलियन फ्रैंक के साथ दूसरे स्थान पर है। वेस्ट इंडीज का 68 बिलियन डॉलर इस बैंक में जमा है।

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क्यों आया उछाल?
बैंकों और वित्तीय संस्थानों के जरिए ज्यादा पैसा आने से यह उछाल आया है। व्यक्तिगत ग्राहकों की जमा राशि में मामूली वृद्धि हुई है, जो 11% बढ़कर CHF 346 मिलियन (लगभग ₹3,675 करोड़) हो गई है। बता दें कि CHF स्विस फ्रैंक का शॉर्ट फॉर्म है, जो कि स्विटजरलैंट की करेंसी है। हालांकि, व्यक्तिगत ग्राहकों द्वारा जमा किए गए पैसे में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। यह सिर्फ 11% बढ़ा है। व्यक्तिगत ग्राहक जमा में मामूली वृद्धि हुई, जो 11% बढ़कर CHF 346 मिलियन हो गई। डेटा में यह जानकारी दी गई है।

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भारत और स्विट्जरलैंड साझा करते रहते हैं आंकड़े

इसके अलावा, स्विट्जरलैंड प्रथम दृष्टया सबूत दिए जाने के बाद वित्तीय गलत कामों (Financial Wrongdoings) में लिप्त होने के संदेह वाले भारतीयों के खातों के बारे में सक्रिय रूप से विवरण साझा कर रहा है। अब तक सैकड़ों मामलों में इस प्रकार की सूचनाओं के आदान-प्रदान हुए हैं। संस्थानों सहित विदेशी ग्राहकों का कुल कोष 2024 में 977 अरब स्विस फ्रैंक रहा जो 2023 में 983 अरब स्विस फ्रैंक था। परिसंपत्तियों के संदर्भ में 2023 के अंत में भारतीय ग्राहकों के पास 1.59 अरब स्विस फ्रैंक थे। यह पिछले वर्ष से लगभग नौ प्रतिशत अधिक है।

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