नई दिल्ली। वर्ष 2023 में 2,16,000 से ज़्यादा भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्यागी है. पिछले वर्षों की बात करें तो 2022 में 2,25,620 लोगों ने, 2021 में 1,63,370 लोगों ने, 2020 में 85,256 लोगों ने और 2019 में 1,44,017 लोगों ने नागरिकता छोड़ी थी. इस बात की जानकारी सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में दी.

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने पिछले पाँच सालों में अपनी नागरिकता त्यागने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या के बारे में लिखित जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने 2011 से 2018 तक के आंकड़े प्रदान किए. वहीं 2023 में अपनी नागरिकता त्यागने वाले भारतीयों की विशिष्ट संख्या 2,16,219 थी.

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने सदन में पूछा कि क्या सरकार ने इस “बड़ी संख्या में त्याग” और “भारतीय नागरिकता की कम स्वीकृति” के पीछे के कारणों की जांच की है. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या नागरिकता त्याग की महत्वपूर्ण संख्या के परिणामस्वरूप “वित्तीय और बौद्धिक जल निकासी” का कोई आकलन किया गया है.

मंत्री सिंह ने सदन में दिए अपने जवाब में कहा कि नागरिकता त्यागने या प्राप्त करने की प्रेरणाएँ व्यक्तिगत हैं. उन्होंने आज की ज्ञान अर्थव्यवस्था में वैश्विक कार्यस्थल की क्षमता की सरकार की स्वीकृति पर जोर दिया और भारतीय प्रवासियों के साथ इसके जुड़ाव में परिवर्तनकारी बदलावों का उल्लेख किया.

सिंह ने सफल, समृद्ध और प्रभावशाली प्रवासी समुदाय को भारत के लिए एक परिसंपत्ति बताया, तथा प्रवासी समुदाय के नेटवर्क का लाभ उठाने और एक संपन्न प्रवासी समुदाय से जुड़ी सॉफ्ट पावर का उपयोग करने के लाभों पर प्रकाश डाला. उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार की पहल का उद्देश्य ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करने सहित इस क्षमता का पूरी तरह से दोहन करना है.