नई दिल्ली- आर्थिक मामलों की रेटिंग एजेंसी फिच ने वित्तीय वर्ष 2020-2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 फीसदी की भारी गिरावट का अनुमान लगाया है. मंगलवार को एजेंसी की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में भारत की अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर -10.5 फीसदी कर दिया है. इससे पहले फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था.

रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से देश में लागू किए गए लाॅकडाउन से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. आंकड़ें बताते हैं कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में यह सबसे बड़ी गिरावट आंकी गई है. हालांकि फिच का आंकलन है कि अनलाॅक के बाद जिस तेजी से बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर आ रही है, इससे जुलाई-सितंबर की तिमाही में सुधार देखने को मिल सकता है. हालांकि फिच ने यह भी कहा है कि अर्थव्यवस्था में सुधार बेहद सुस्त और असामान्य रहेगी.
वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को लेकर सितंबर की अपडेट रिपोर्ट के साथ फिच ने कहा है कि दुनिया में सर्वाधिक मंदी भारत, ब्रिटेन और स्पेन जैसे देशों में देखने को मिलेगी. इन देशों में लाॅकडाउन काफी सख्त और लंबा रहा है. इन देशों में खुदरा कारोबार प्रभावित हुआ. एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्रों में आवाजाही प्रतिबंधित रही. हालांकि फिच ने कहा है कि कोरोना वायरस के नए मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसकी वजह से कुछ राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को अंकुशों को फिर से सख्त करना पड़ा है. महामारी के लगातार फैलने तथा देशभर में छिटपुट बंदी की वजह से धारणा कमजोर हुई है और आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं.
 रेटिंग एजेंसी ने कहा कि गतिविधियों में भारी गिरावट से परिवारों और कंपनियों की आय भी बुरी तरह प्रभावित हुई है. इस दौरान वित्तीय समर्थन भी सीमित रहा है. इसके साथ ही वित्तीय क्षेत्र की संपत्ति की गुणवत्ता नीचे आ रही है, जिससे बैकों के कमजोर पूंजी बफर के बीच ऋण प्रावधान पर असर पड़ेगा. फिच ने कहा कि मुद्रास्फीति ऊंची रहने से परिवारों की आय पर दबाव बढ़ा है और आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है. उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी से कीमतें बढ़ रही हैं. हालांकि, उसका अनुमान है कि कमजोर मांग, आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं समाप्त होने तथा मानसून अच्छा रहने से मुद्रास्फीति नीचे आएगी.
फिच ने कहा हमने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अपने अनुमान को संशोधित कर -10.5 प्रतिशत कर दिया है. जून में जारी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट के अनुमान को पांच प्रतिशत अंक बढ़ाया गया है. हमारा अनुमान है कि हमारे वायरस पूर्व के अनुमान की तुलना में 2022 की शुरुआत तक गतिविधियों में करीब 16 प्रतिशत की गिरावट आएगी. फिच का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी जुलाई-सितंबर की तिमाही में जीडीपी में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आएगी. तीसरी अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में अर्थव्यवस्था 4.8 प्रतिशत नीचे आएगी. वहीं जनवरी-मार्च की चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रहेगी. फिच ने कहा कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहेगी. 2022-23 में अर्थव्यवस्था 6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.
इस बीच इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने भी मंगलवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर -11.8 प्रतिशत कर दिया. इससे पहले इंडिया रेटिंग्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 5.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था.