नई दिल्ली. वरिष्ठ नागरिकों की रेल रियायत बहाल करने को लेकर एक बार फिर मंथन का दौर शुरू हो गया है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इस संबंध रेलवे से जानकारी मांगी है. दरसअल, कोविड-19 का खतरा कम होने और देश में अन्य सभी तरह की गतिविधियों के सामान्य होने के साथ ही वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन से यात्रा के दौरान किराये में मिलने वाली रियायत को बहाल करने की मांग एक बार फिर उठने लगी है, इस बढ़ते दबाव को कम करने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय एक सक्रिय भूमिका निभा रहा है. सरकार इस कोशिश में है कि पस्तहाल रेलवे पर आर्थिक दबाव भी न पड़े और रियायत भी मिल सके.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय देश में ऐसी अनक्लेम्ड राशि सवा लाख करोड़ से ज्यादा है और अब तक वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी ढेर सारी योजनाएं मौजूदा समय में इसी फंड से संचालित होती रही है. फिलहाल वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े संगठनों की मांग के मद्देनजर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने रेलवे ने इस संबंध में जरूरी जानकारियां मांगी गई हैं, जिसके बाद आगे की रणनीति पर केंद्र सरकार काम करेगी.
कोविड महामारी के दौरान खराब वित्तीय हालत को देखते हुए रेलवे ने तीन श्रेणियों को छोड़कर सभी के किराए में रियायत बंद कर दी थी, इनमें वरिष्ठ नागरिक भी हैं. हालांकि यह सुविधा कब तक बहाल होगी इसको लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं है. लेकिन जिस तरह से वरिष्ठ नागरिकों की ओर से दबाव बढ़ रहा है, उसको देखते हुए इस पर जल्द कोई फैसला लिए जाने की उम्मीद लगाई जा रही है. मौजूदा समय में देश में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या करीब 14 करोड़ है.
हालांकि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले दिनों लोकसभा में कहा था कि करीब सात करोड़ वरिष्ठ नागरिक करीब दो वर्षो से बिना किसी छूट के ट्रेनों से यात्रा कर रहे हैं.
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