सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। बलरामपुर जिले में खैर लकड़ी की तस्करी का फिर एक बड़ा मामला सामने आया है. यहां से सैकड़ों की संख्या में संरक्षित खैर की तस्करी पड़ोसी राज्य झारखंड में हो रही है. मामले में वन और राजस्व विभाग के जिम्मेदार अपनी आंख मूंदे हुए हैं.

दअरसल, पूरा मामला जिले में रामचंद्रपुर विकासखंड के सिलाजु व उचेरउवा गांव से लगे जंगल का है, जहां संरक्षित वृक्ष खैर की कटाई इन दिनों धड़ल्ले से की जा रही है, और ग्रामीणों के माध्यम से पेड़ों की कटाई करवाकर लकड़ी तस्कर कटे हुए पेड़ों को ट्रक के माध्यम से पड़ोसी राज्य झारखंड में तस्करी कर रहे हैं.

दिनदहाड़े हो रही है मशीन से कटाई

सिलाजु गांव के ग्रामीणों ने बताया है कि पिछले 10 दिनों से खैर के वृक्षों की कटाई दिनदहाड़े मशीन से की जा रही है. तस्कर बेखौफ कटी हुई लकड़ियों की तस्करी झारखंड में कर रहे हैं, लेकिन क्षेत्र में तैनात फारेस्ट विभाग और राजस्व का अमला इस पर रोक लगाने में नाकाम साबित हुआ है. इसके यह आशंका भी पैदा हो रही है कि इन विभागों के जिम्मेदारों की सहमति से यह खेल खेला जा रहा है.

पहले भी आ चुका है तस्करी का मामला

बता दे कि जिले के रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र से भी बीते छह महीने पहले खैर लकड़ी की बड़ी तस्करी का खुलासा ग्रामीणों की पहल पर हुआ था, जिसमें वन विभाग और राजस्व की मिलीभगत का आरोप भी लगा था.

अधिकारी दे रहे कार्रवाई की दुहाई

खैर लकड़ी की बड़े पैमाने पर कटाई और तस्करी की जानकारी जब लल्लूराम डॉट कॉम के संवाददाता ने डीएफओ विवेकानंद झा को दी गई तो उन्होंने कहा तत्काल उचित कार्रवाई की बात कही. वहीं मामले में एडीएम गौतम सिंह ने बताया कि अभी किसी भी व्यक्ति के नाम से लकड़ी कटाई की अनुमति नहीं दी गई है. अगर अनाधिकृत रूप से कोई भी व्यक्ति कटाई का कार्य कर रहा है उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.

रोक लगाने में आखिर विभाग क्यों नाकाम

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर संरक्षित पेड़ों की कटाई और राजस्व विभाग रोक लगाने में असमर्थ क्यों है. क्या विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से ही लकड़ी तस्करी का पूरा खेल किया जा रहा है. ये अपने आप में एक बड़ा सवाल बना हुआ है.

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