दिल्ली.  इंडोनेशिया के सबांग बंदरगाह का इस्तेमाल अब भारत अपनी सैन्य और आर्थिक जरूरतों के लिए कर पाएगा. इंडोनिशिया के नौसेना मामलों के मंत्री लुहुत पंडजायतन ने इसकी मौखिक मंजूरी दी.  इस मौके पर उन्होंने कहा, ‘जल्दी ही दोनों पक्ष बैठक करके इसे लिखित तौर पर वास्तविकता का रूप दे देंगे.’ उन्होंने आगे कहा कि इस बंदरगाह के इस्तेमाल के बदले भारत यहां आर्थिक जोन और एक अस्पताल का निर्माण करेगा.

भारत के लिए यह बंदरगाह व्यापारिक और सामरिक लिहाज से खास अहमियत रखता है. अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के दक्षिण-पूर्वी हिस्से से इसकी दूरी 710 किलोमीटर की है. जिस इलाके में यह पड़ता है उससे भारत का 40 फीसदी समुद्री व्यापार होता है.

बताया जाता है कि सबांग बंदरगाह के विकास लिए भारत और इंडोनेशिया के बीच 2014-15 में बातचीत शुरू हुई थी. उधर चीन ने भी इसके इस्तेमाल और विकास के प्रति दिलचस्पी दिखाई थी. लेकिन दक्षिण चीन सागर पर चीन के एकतरफा दावे और इसकी महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना के मद्देनजर इंडोनेशिया ने इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत को चुना है.

जिस तरह से चीन एशिया के देशों में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है. वो इस बंदरगाह में काबिज ोहने के लिए पूरी कोशिश कर चुका है. लेकिन इसमें उसे कामयाबी नहीं , इंडोनेशिया की सरकार का भारत को इसके लिए चुनना एक तरह भारत की चीन पर कूटनीतिक जीत है.