हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर (Indore) शहर में एक बार फिर सरकारी स्कूलों में भ्रष्टाचार (corruption) के मामले सामने आए हैं। दरअसल शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में मरम्मत के लिए प्रति स्कूल 3 लाख की राशि दी थी। जिसमें इंदौर के 126 स्कूलों में मरम्मत का काम होना था, लेकिन 16 स्कूलों को छोड़कर बाकी सभी स्कूलों में मरम्मत का काम ठेकेदारों से करवाया गया और जब शिकायत हुई तो 77 स्कूलों में गड़बड़ियां पाई गई। 3 लाख का काम होना था, लेकिन धरातल पर आधे के भी नहीं हुए। अब शिक्षा विभाग ने प्रिंसिपल के खिलाफ रिकवरी के नोटिस जारी किए हैं।

जांच टीम गठित

दरअसल, प्रदेश सरकार की ओर से स्कूलों की मरम्मत के लिए दी जाने वाली राशि में बड़ा भ्रष्टाचार पाया गया है। जिसमें शिक्षा विभाग के अधिकारी और स्कूल के प्रिंसिपल सहित ठेकेदार की लापरवाही सामने आई है। जिसके बाद इंदौर कलेक्टर इलैयाराजा पी से मामले की शिकायत की गई। कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच जिला पंचायत सीईओ शेखर जिला पंचायत सीईओ ने जांच टीम गठित कर 16 इंजीनियरों की टीम स्कूलों में भेजी। इंजीनियरों ने आंकलन लगाया और रिपोर्ट बना कर दी। जिसमें 77 स्कूलों में 3 लाख से कम की राशि का ही काम हुआ है। बाकी का पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया जांच रिपोर्ट आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रिंसिपल को नोटिस जारी कर बाकी की राशि प्राचायों से वसूल करने के आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही 7 दिन में जवाब भी मांगा है।

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प्रति स्कूल 3 लाख की राशि के होने थे

जिला पंचायत सीईओ वंदना शर्मा ने बताया कि मामले में कलेक्टर साहब के निर्देश पर जांच टीम का गठन किया गया था। टीम ने स्कूल के सभी कामों का आंकलन किया और आंकलन में सामने आया कि 77 स्कूलों में प्रति स्कूल 3 लाख रुपए के काम होना थे, लेकिन जब वहां पर वेरिफिकेशन कराया गया तो काम का जो मूल्यांकन हमारे इंजीनियरों ने किया गया। वह आदि से भी कम राशि का सामने आया जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी किए हैं। अभी मामले में जांच जारी है।

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इंजीनियरों ने किया मूल्यांकन

जिला शिक्षा अधिकारी मंगेश व्यास के मुताबिक स्कूलों में मरम्मत का काम कराने का पूरा जुम्मा प्रिंसिपल का था। प्रिंसिपल को स्कूल के ठेकेदारी करना थे। ठेकेदार की लिस्ट हमने जारी कर दी थी जो डब्ल्यू में रजिस्टर ठेकेदार से ही स्कूल की मरम्मत के काम करवाने थे। जिला पंचायत के इंजीनियरों ने मूल्यांकन किया मूल्यांकन में जो राशि कम आ रही है उसके लिए हमने प्रिंसिपल को नोटिस जारी किए हैं। 7 दिन में नोटिस जारी कर कर जवाब मांगा है और बची हुई राशि प्रिंसिपल से रिकवरी के लिए नोटिस जारी कर दिया है। पूरे मामले में अभी जांच जारी है।

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रिकवरी के नोटिस जारी

पूरे भ्रष्टाचार के मामले में जब सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि हमने इस पूरे मामले में जवाब बनाकर जिला शिक्षा अधिकारी को प्रेषित कर दिया है। जिला शिक्षा विभाग के रिकवरी के नोटिस जारी होने के बाद हम लोग काफी मानसिक रूप से परेशान हो गए हैं। हमारा काम चौक और डस्टर का है। बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का है, लेकिन जब तरह के गलत आरोप लगते हैं समाज में भी छवि खराब होती है। हमें नहीं पता जिला पंचायत में किस आधार पर मूल्यांकन करवाया है। हमारे पास ठेकेदार ऊपर से रिक्वेस्ट कर कर आए थे उसी आधार पर हमने उन्हें काम दिया था। जिला शिक्षा विभाग ने पैसा जारी करने के पूर्व हमसे किसी भी प्रकार की बात नहीं की कितने काबिल ठेकेदार ने लगाया और उसे राशि दी गई। हमारी जानकारी में नहीं है। जिला शिक्षा विभाग को पूर्व में प्रिंसिपल से बात कर धरातल पर हुए कामों का वेरिफिकेशन कराना था उसके बाद ठेकेदार को राशि जारी करना था।

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बड़ी लापरवाही

पूरा भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद अब जिला शिक्षा अधिकारी पूरा बांडा स्कूल के प्रिंसिपल ऊपर छोड़ते नजर आ रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार से स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है ऊपर से रिक्वेस्ट कर हमारे पास ठेकेदार पहुंचे थे। जिन्हें कांदे दिया गया और काम की राशि जिला शिक्षा विभाग ने जारी की है। उसके पहले कोई भी वेरीफिकेशन जिला शिक्षा विभाग ने नहीं किया गया उसके जिम्मेदार प्रिंसिपल कैसे हो सकते हैं। जिला शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही से कहा जा सकता है बिना वेरिफिकेशन के 77 स्कूलों की राशि ठेकेदारों के अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई और जब पूरे मामले की जांच हुई तो लाखों रुपए का भ्रष्टाचार जिला पंचायत की जांच में सामने आया।

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