हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर के राऊ स्थित सिक्सलेन ब्रिज पर गड्ढों की शिकायतें लगातार मिल रही थीं। जिसके बाद एनएचएआई ने गड्ढे भरवाने का काम शुरू तो किया, लेकिन यह काम भी अधूरा और नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। ब्रिज पर बने गड्ढों को डामर से भरने की बजाय केवल ब्लॉक्स रखकर बंद करने की कोशिश की जा रही है, जो जल्द ही दोबारा उखड़ सकते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस काम में नाबालिग बच्चों से मजदूरी करवाई जा रही है। जबकि कानून के मुताबिक नाबालिगों से काम कराना अपराध है। इसके बावजूद सरकारी जिम्मेदार विभाग ही इस अपराध को खुलेआम अंजाम दे रहा है।

लल्लूराम डॉट कॉम (Lalluram.com) की टीम जब मौके पर पहुंची और अधिकारियों से जवाब मांगना चाहा, तो कैमरा देखते ही अधिकारी भाग निकले। जब आईएस प्योर मामले में इंदौर सांसद शंकर लालवानी से फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा शिकायत की गई थी जिसका काम शुरू हुआ की नहीं इसकी जानकारी नहीं है। इसके बाद जब लल्लूराम डॉट कॉम ने सवाल किया कि एनएचआई गड्ढे भरवाने के लिए नाबालिगों से काम करवाता हुआ नजर आ रहा है तो सांसद जी गोलमोल जवाब देते नजर आये।

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विद्या कंस्ट्रक्शन ने तैयार किया ब्रिज

इसके साथ ही जब सड़क पर गड्ढों को ब्लॉक से भरने की बात कही तो आईएस पर जवाब दिया की बारिश के समय डामर की फैक्ट्री बंद होती है। इसलिए अभी ब्लॉक से बंद किया जा रहा है। आईएस ब्रिज को विद्या कंस्ट्रक्शन ने बनाकर तैयार किया है। हालांकि आईएस ब्रिज में जिस तरह का काम हुआ है, उससे साफ तौर पर एक बड़ा भ्रष्टाचार होता हुआ नजर आया है। कंपनी को अभी तक एनएचआई की तरफ से आईएस ब्रिज का कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है।

सात महीने में ही उधड़ गया करोड़ों का ब्रिज

राऊ सिक्सलेन ब्रिज का हाल ये है कि सिर्फ सात महीने में ही इसकी असलियत सामने आ गई। अब तक शहर में ठीक से बारिश भी नहीं हुई है, लेकिन ब्रिज पर जगह-जगह गड्ढे उभर आए हैं। यह सब घटिया निर्माण और अफसरों की लापरवाही का नतीजा है, जो अब बार-बार पेचवर्क कर भ्रष्टाचार छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।

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टोल लेते हैं, लेकिन सुविधा नहीं

एनएचएआई की ओर से राऊ से देवास नाका तक बनाए गए सिक्स लेन बायपास पर टोल टैक्स लिया जा रहा है। इसके बदले में न तो यात्रियों को सुविधा मिल रही है और न ही बेहतर सड़कें। कभी अधूरे निर्माण की वजह से घंटों जाम में फंसना पड़ता है, तो कभी बने हुए ब्रिज पर गड्ढों की वजह से वाहन रेंगने लगते हैं।

40 करोड़ रुपये खर्च, उठे सवाल

ब्रिज के निर्माण पर करीब 40 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन इसका नतीजा सात महीने में ही सामने आ गया। सर्विस रोड की हालत भी बदतर हो चुकी है। पुराना पेचवर्क भी उखड़ चुका है। अब सवाल यह है कि आखिर इन गड्ढों का जिम्मेदार कौन है? और नाबालिगों से काम करवाने वालों पर कब कार्रवाई होगी ?

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