हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर हाईकोर्ट में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत बाल विवाह की उम्र 15 साल से बढ़ाकर 18 साल करने की याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका के माध्यम से इस मामले में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत विवाह की न्यूनतम उम्र महिलाओं के लिए 18 साल करने की मांग की गई है।

शरीयत कानून के अनुसार 15 साल की उम्र में विवाह की अनुमति

यह याचिका अमन शर्मा नामक व्यक्ति ने दायर की है जिसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ एक्ट, 1937 और बाल विवाह निषेध एक्ट, 2006 के बीच कानूनी टकराव को लेकर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि शरीयत कानून के अनुसार 15 साल की उम्र में विवाह की अनुमति है। जबकि भारतीय कानून के तहत महिलाओं के लिए यह उम्र 18 साल निर्धारित है। 

लड़कियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है प्रभाव

याचिका में यह तर्क दिया गया है कि कम उम्र में विवाह करने से लड़कियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे उनकी शिक्षा और जीवन के अन्य पहलुओं पर भी असर पड़ता है। इसके साथ ही यह विवाह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य का अधिकार शामिल है। 

हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने केंद्र सरकार, कानून और न्याय मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, गृह विभाग, और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नोटिस जारी किया है। इन सभी पक्षों से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि बाल विवाह निषेध कानून को प्राथमिकता दी जाए और सभी समुदायों में विवाह की न्यूनतम उम्र समान हो। साथ ही, कानून के प्रभावी पालन और बाल विवाह से प्रभावित लोगों के लिए सेवाओं की स्थापना की भी मांग की गई है।

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