हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश में रिश्वत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। ताजा मामला प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से सामने आया है। जहां रिटायर एडिशनल कलेक्टर से आदिवासी विभाग के क्लर्क और सहायक आयुक्त ने 11 लाख रुपए का पेमेंट पास करने के एवज 15% की रिश्वत मांगी थी। लोकायुक्त ने 50 हजार रुपए की घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।

दरअसल, इंदौर के कलेक्टर कार्यालय स्थित आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त और क्लर्क को लोकायुक्त विभाग ने 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है। इस पूरे मामले में शिकायतकर्ता विक्रम सिंह गहलोत एडिशनल कलेक्टर पद से रिटायर हुए थे और उनका इंदौर के रानी बाग स्थित एक मकान था। जहां पर आदिवासी विकास विभाग द्वारा हॉस्टल संचालित करने के लिए शिकायतकर्ता से जगह किराए पर ली थी, जिसमें हर 3 साल में किराया वृद्धि होना था।

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किराया वृद्धि की लगभग 11 लाख रुपए की बकाया राशि लेने के लिए शिकायतकर्ता लगातार आदिवासी विकास कार्यालय के चक्कर लगा रहे थे। इसी दौरान आदिवासी विभाग की क्लर्क उमा मर्सकोले ने सहायक आयुक्त विजय कुमार जायसवाल से बातचीत करवाई और आखरी में 50 हजार रुपये रिश्वत की राशि देने के लिए शिकायतकर्ता कलेक्टर कार्यालय स्थित आदिवासी विकास कार्यालय पहुंचे, लेकिन वहां पर सहायक आयुक्त विजय जायसवाल मौजूद नहीं थे। उन्होंने यह राशि क्लर्क उमा को देने की बात कही।

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इसके बाद लोकायुक्त विभाग की टीम ने उमा को ट्रैप किया। लोकायुक्त डीपी प्रवीण बघेल ने बताया कि विक्रम सिंह गहलोत की शिकायत पर ट्रैप की कार्रवाई की गई है। विकास जो कि सहायक आयुक्त के पद पर पदस्थ हैं, उससे फोन पर बातचीत हो गई थी। उसने उमा को राशि सौंपने को कहा था। फिलहाल ट्रैप की धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपी को हिरासत में लिया गया है।

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