यत्नेश सेन,सावेर(इंदौर)/ देवेंद्र चौधरी,मंडला। आज पूरे देशभर में हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। जगह-जगह मंदिरों में लोग अनुमान भक्ति में डूबे हुए है। ऐसे में हनुमान जन्मोत्सव पर हम आपको हनुमान जी महाराज के दो ऐसे चमत्कारिक मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जिसे जानकर आप भी एक बार जरूर यहां दर्शन के लिए जाएंगे। जी हां आपने अक्सर मंदिरों में हनुमानजी की खड़ी या बैठी हुई प्रतिमा देखी होगी। लेकिन शायद आपको पता नहीं होगा कि हनुमानजी का एक ऐसा भी मंदिर है जहां सिर के बल खड़ी उनकी प्रतिमा की पूजा की जाती है। यह मंदिर इंदौर जिले के सांवेर में स्थित है।

ऐसा भी माना जाता है कि यह मंदिर रामायण काल के समय से है। मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है। वहीं हनुमान जी का दूसरा चमत्कारिक मंदिर प्रदेश के मंडला जिले के नजदीक ग्राम सकवाह के सूर्यकुण्ड धाम में स्थित है। दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र है। मान्यता यह है कि यहां स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा दिन में तीन रूप बदलती है। सुबह बाल रूप, दोपहर को युवा रूप में और शाम को वृद्ध रूप में नजर आती है। सूरज कुण्ड के हनुमान जी दूर दूर तक प्रसिद्ध है। 

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सावेर में स्थित मंदिर में सिर के बल उल्टे खड़े हैं बजरंगबली

इंदौर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर सांवेर गांव में हनुमान जी का अद्भुत मंदिर है। जहां हनुमान जी सिर के बल उल्टे खड़े हैं। इस प्राचीन मंदिर में स्थापित हनुमान जी की उल्टी प्रतिमा विश्व की इकलौती प्रतिमा है, जो लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। लोग हनुमान जी की अद्भुत प्रतिमा के दर्शन करने देशभर से आते हैं। मंदिर में हनुमान जी के साथ भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और शिव-पार्वती की भी मूर्तियां भी स्थापित है। यहां मंगलवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाने की भी मान्‍यता है। मंदिर में स्थित हनुमान जी की प्रतिमा को अत्यंत चमत्कारी माना जाता है।

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उल्टे हनुमानजी की प्रतिमा के पीछे है एक पौराणिक कहानी

रामायण काल में भगवान श्री राम व रावण का युद्ध हो रहा था तब अहिरावण ने एक चाल चली और खुद अपना रूप बदलकर अपने को राम की सेना में शामिल कर लिया। इसके बाद रात के समय जब सब सो रहे थे तब अहिरावण ने अपनी शक्ति से श्री राम एवं लक्ष्मण जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया। वह उन्हें अपने साथ पाताल लोक में ले गया और जब वानर सेना को इस बात का पता चलता है तो चारों ओर हड़कंप मच गया। हनुमान जी भगवान राम व लक्ष्मण जी की खोज में पाताल लोक पहुंचे और वहां पर अहिरावण का वध उन्होंने भगवान राम और लक्ष्मण को वापस ले आए। माना जाता है सांवेर ही वह जगह थी जहां से हनुमान जी पाताल लोक के लिए गए थे। उस समय हनुमान जी के पांव आकाश की ओर तथा सिर धरती की ओर था। जिस कारण उनके उलटे रूप की पूजा प्रतिमा आज भी वहां स्थापित है और यह वह जगह है।

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मंडला के इस मंदिर में दिन में तीन बार बदलता है हनुमान जी का रूप

जिला मुख्यालय के नजदीक ग्राम सकवाह के सूर्यकुंड धाम में दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र है। मान्यता यह है कि यहां स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा दिन में तीन रूप बदलती है। सुबह बाल रूप, दोपहर को युवा रूप में और शाम को वृद्ध रूप में नजर आती है। सूरज कुण्ड के हनुमान जी दूर दूर तक प्रसिद्ध है। इस स्थल में वर्ष भर विविध धार्मिक आयोजन होते रहते है। जहां आज हनुमान जयंती के अवसर पर भक्तों की लंबी कतार देखने को मिल रही है,और पूजा पाठ का दौर जारी है। जो भी भक्त यहां अपनी मन्नते लेकर आता है उसकी झोली खाली नहीं जाती है।

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