हेमंत शर्मा, इंदौर। नगर निगम में सेना के ड्रेस कोड को लेकर विवाद खड़ा करने वाले महापौर एंव निगमायुक्त ने राज्य सरकार के आदेश की धज्जियां उड़ा दी हैं। राज्य सरकार के आदेश को कचरे के डब्बे में डालकर मनमर्ज़ी से इंदौर नगर निगम की यूनिफ़ॉर्म तय करके झूठी वाहवाही लूटने के खेल का पर्दाफ़ाश हो गया हैं।

इसका पालन करना सभी के लिए जरूरी

उल्लेखनीय हैं की राज्य शासन ने पत्र क्रमांक 2358 दिनांक 28 दिसंबर 2020 को संपूर्ण म.प्र. में निर्धारित यूनिफ़ॉर्म ड्रेस कोड नगर निगमों में लागू करके आदेश जारी कर दिया था। मध्य प्रदेश के नगर निगम कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए ड्रेस कोड पूर्व में ही लागू कर दिया गया था। इस संबंध में नगरीय विकास एवं नगरीय निकायों के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को इसका पालन हर हाल में सुनिश्चित करना तय किया गया था। ड्रेस कोड के संबंध में जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश जारी किये गये थे। जारी निर्देश के तहत नगरीय निकायों में कार्यरत पुरूष अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए नेवी ब्लू पैंट और स्काई ब्लू शर्ट।

सेना जैसी दिखने वाली वर्दी

महिलाओं के लिये स्काई ब्लू साड़ी, ब्लाउज, स्काई ब्लू कुर्ता, दुपट्टा एवं नेवी ब्लू सलवार निर्धारित की गई थी। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने सभी आयुक्त निगम, परियोजना अधिकारी, संभागीय संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास, जिला शहरी विकास अभिकरण और मुख्य नगरपालिका अधिकारियों को निर्देशों का कड़ाई से पालन कराने के निर्देश दिए थे। सरकार के आदेश परिवर्तन किये बिना किसी भी तरह का ड्रेस कोड लागू करना राज्य सरकार का विरोध करना है। कांग्रेस महासचिव राकेश सिंह यादव के अनुसार मुख्यमंत्री को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए। इस तरह की तानाशाही बर्दाश्त करने योग्य नहीं हैं।

निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कहा की निगम आयुक्त ने 600 वर्दी सिलवाकर तैयार करवाई है। इसका खर्च कौन वहन करेगी, हालांकि नगर निगम अब जल्द ही सेना जैसी दिखने वाली वर्दी में बदलाव करने की बात कहता नजर आ रहा है।

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