हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव के निर्देश की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। दरअसल, इंदौर नगर निगम ने अपने ही नियम तोड़ दिए। परिषद बैठक में डिस्पोजल में चाय पिलाई गई। पार्षद खुद ही डिस्पोजल के कप में चाय पीते नजर आए। जबकि शहर में डिस्पोजल में चाय बेचने पर कई दुकानदारों के हजारों रुपये के चालान बनाए गए थे। यानी कहा जा सकता है कि यह नियम केवल और केवल जनता के लिए, माननीयों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव के डिस्पोजल में चाय देने पर लगाए गए बैन की नगर निगम ने खुद ही धज्जियां उड़ा दीं। हाल ही में हुई नगर निगम की परिषद बैठक के दौरान सदस्यों को डिस्पोजल गिलास में चाय परोसी गई। जबकि मेयर ने इस पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश दिया था। महापौर ने पहले स्पष्ट रूप से कहा था कि “डिस्पोजल में गर्म चाय डालने से उसका केमिकल पिघलकर शरीर में जाता है, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
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उनके निर्देशों के बाद शहर में दुकानदारों पर डिस्पोजल में चाय देने के लिए हजारों रुपये के चालान भी काटे गए थे। लेकिन अब नगर निगम की इस लापरवाही से सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या यह नियम केवल आम जनता पर लागू है ? या फिर नगर निगम अपने ही आदेशों का पालन करने में विफल हो रहा है ?
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आपको बता दें कि डिस्पोजल कपों का पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता और ये पर्यावरण में प्लास्टिक कचरे के रूप में जमा हो जाते हैं, जिससे मृदा और जल प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। शहर में पर्यावरण और जनस्वास्थ्य को लेकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने डिस्पोजल पर बैन लगाया था। डिस्पोजल कप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध से केवल स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।
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