हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर नगर निगम के पीएचई विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले की एसआईटी टीम जांच कर रही है। इसी बीच इस पूरे मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है। एक तरफ कांग्रेस लगातार CBI जांच की मांग कर रही है। तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के ही पूर्व विधायक ने राज्य सरकार द्वारा बनाई गई SIT पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

BJP के पूर्व विधायक ने उठाए सवाल

बीजेपी के पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा का कहना जिस SIT का गठन जांच करने के लिए किया गया है। पिछले दिनों उसी SIT के दो ही अधिकारी इंदौर पहुंचे और उन्होंने मामले की जांच की, जबकि पीडब्ल्यूडी विभाग अधिकारी जिन्हें जांच करने के लिए इंदौर पहुंचना था, वह नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में जांच लंबी चलेगी। इस जांच को 3 महीने के अंदर पूरा कर दूध का दूध पानी का पानी कर देना चाहिए। ताकि जो भी इस पूरे घोटाले में लिप्त है, चाहे वह कोई भी हो उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

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गोपीकृष्ण नेमा

सीएम से मुलाकात की कही बात

गोपीकृष्ण ने कहा कि मामले में कोई भी राजनीति नहीं होना चाहिए। क्योंकि मैं खुद राजनीति नहीं करना चाहता हूं। इंदौर का नागरिक होने के कारण में आहत हुआ हूं। इंदौर का हर नागरिक इस घोटाले के बाद आहत हुआ है। ऐसे में घोटालेबाजों को सजा मिलेगी, तभी इंदौर को न्याय मिल सकेगा। इसके साथ ही गोपीकृष्ण ने घोटाला करने वाली फर्म की शुरू से जांच करवाने की भी मांग की है। साथ ही SIT दल इंदौर में रहकर इस पूरे मामले की जांच करें। जिस पर हम लोग भी अपनी नजर बनाए रखेंगे। गोपीकृष्ण नेमा ने जल्द ही इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव से मुलाकात करने की बात भी कही हैं।

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कांग्रेस ने आमरण अनशन के लिए किया आमंत्रित

वहीं प्रदेश कांग्रेस के संभागीय प्रवक्ता विवेक खंडेलवाल, सूचना अधिकार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष गिरीश जोशी ने इंदौर के पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा, महापौर पुष्यमित्र भार्गव को आमरण अनशन के लिए आमंत्रित किया है। पार्टी ने कहा कि इस अनशन में शामिल हो, ताकि शहर को घोटाले की भेंट चढ़ाने वाले सामने आ सके। फिलहाल कांग्रेस ने इस अनशन को लेकर समय और तारीख तय नहीं की है। कांग्रेस नेता विवेक खंडेलवाल का कहना है कि आने वाले गुरुवार या शुक्रवार को यह अनशन किया जा सकता है। आपको बता दें कि इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी इस पूरे घोटाले को लेकर सीएम मोहन यादव को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने एक SIT का गठन भी किया था।

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