हेमंत शर्मा, इंदौर। 2019 में शुरू हुआ भिक्षुक मुक्त अभियान, जो इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने का संकल्प लेकर आया था, आज भी अपने लक्ष्य से कोसों दूर है। इस अभियान के तहत इंदौर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन यह योजना धरातल पर असफल होती दिख रही है।

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इंदौर के प्रमुख चौराहों पर जारी भिक्षावृत्ति


इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए 2019 में भिक्षुक मुक्त अभियान की शुरुआत की गई थी। इस अभियान के तहत इंदौर को भिक्षुक मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया था और इस ड्रीम प्रोजेक्ट में इंदौर का नाम भी प्रमुखता से शामिल था। लेकिन आज इस अभियान का प्रभाव जमीन पर कहीं नजर नहीं आ रहा है। विजयनगर, सत्य साईं चौराहा, रेडिसन चौराहा, इंद्रप्रस्थ चौराहा, पलासिया चौराहा, गीता भवन और व्हाइट चर्च जैसे प्रमुख चौराहों पर हर शनिवार और मंगलवार को भिक्षावृत्ति करने वाले युवाओं की भीड़ देखी जा सकती है। इन युवाओं में से कई आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं और शहर में भिक्षा मांगने का काम करते हैं, जिससे आम नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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भिक्षुकों का पुनर्वास योजना पर सवाल

भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए प्रशासन ने एक संस्था को करोड़ों रुपए का टेंडर जारी किया था, जिसके तहत भिक्षुकों का पुनर्वास किया जाना था। इस योजना के अनुसार, भिक्षुकों को किसी व्यवसाय में लगाया जाना था ताकि वे भिक्षावृत्ति छोड़ सकें। लेकिन इस योजना का प्रभाव अभी तक जमीन पर नजर नहीं आ रहा है। न ही इस संस्था के लोग कहीं दिखाई देते हैं और न ही कलेक्टर के आदेशों का पालन हो रहा है।

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कलेक्टर के आदेशों की अनदेखी

हाल ही में इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने आदेश जारी किया था कि भिक्षा देने वालों के खिलाफ भी पुलिस कार्रवाई करेगी, लेकिन अब तक एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भिक्षावृत्ति को रोकने के प्रयासों में कोई ठोस परिणाम नहीं आया है। इंदौर की सड़कों पर भिक्षावृत्ति पहले की तरह ही जारी है, और इसमें कोई कमी नहीं आई है।

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PM का अधूरा सपना

इस ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया था, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखकर लगता है कि यह सपना अधूरा ही रह जाएगा। शहर के प्रमुख चौराहों पर भिक्षावृत्ति करने वाले युवाओं की बढ़ती संख्या और पुनर्वास योजनाओं की विफलता से स्पष्ट होता है कि इस अभियान को लेकर किए गए वादे पूरी तरह से साकार नहीं हो पाए हैं।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा, जिला प्रशासन के माध्यम से स्माइल प्रोजेक्ट को देख रहे हैं, पहले यह नगर निगम के पास था। जिसमें लगातार भिक्षुकों का पुनर्वास किया, नौकरी दी, उनकी चिंता की। अब ये मामला फिर ध्यान में आया है। जिसपर फिर से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा इस मौसम में इंदौर के आस पास से लोग आते हैं जो ये काम कर रहे हैं। उसे दिखाकर ठीक किया जाएगा। उन्होंने कहा मेरा स्पष्ट मारना है की यह एक ऑर्गेनाइज है जो लोगों को क्राइम में धकेल रहा हैं। उनके खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

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