पवन दुर्गम, बीजापुर. छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन तो हो गया, लेकिन व्यवस्था में अब भी परिवर्तन नहीं हो पाया है.  बीजापुर वन विभाग और इंद्रावती टाइगर रिज़र्व में अभी भी प्रभारवाद सर चढ़ कर बोल रहा है. सालों से नियमों को ताक पर रख डिप्टी रेंजर व फारेस्टर (वन रक्षक) को रेंज अफसर बना कर बिठाया गया है. इतना ही नहीं इन्द्रावती टायगर रिजर्व में तो खुद उपसंचालक भी प्रभारी हैं.

बता दें वर्ष 2014 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव ने प्रदेश के समस्त विभागों के सचिवों व विभागाध्यक्ष को एक आदेश जारी किया था. इसमें स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी विभाग में कोई भी कनिष्ठ कर्मी को वरिष्ठ के पद पर न रखा जाए. अगर ऐसा प्रभार कहीं दिया गया है तो विभागाध्यक्ष तत्काल उसे हटाए. बीजापुर में इस आदेश के विपरीत नियमों को ताक पर रख वन विभाग में प्रभारवाद का खेल सालों से खेला जा रहा है.

अपने कार्य का खुद निरीक्षण कर निकाल रहे रकम

इन्द्रावती टायगर रिजर्व के भैरमगढ़ अभ्यारण्य परिक्षेत्र में पिछले दो सालों से फारेस्टर रामायण मिश्रा रेंज अफसर के प्रभार में है, जबकि यहां दो साल पहले वन परिक्षेत्र अधिकारी के रूप में महानंद का स्थानांतरण हुआ था. चूंकि फारेस्टर मिश्रा पूर्व वन मंत्री के बेहद करीबी रहे है, इसके चलते उन्हें पद से नहीं हटाया गया. वे अब तक रेंज अफसर के पद पर नियम विरुद्ध काबिज हैं. इतना ही नहीं इन्द्रावती टायगर रिजर्व के उपसंचालक एमके चौधरी खुद प्रभार में हैं. वे भैरमगढ़ के एसडीओ भी हैं. इसके चलते वे अपने कार्य का खुद निरीक्षण कर राशि आहरण कर रहे हैं. इससे कार्य की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगता है, जबकि कार्य निरीक्षण अधिकारी अलग से होता है.

ठीक इसी तरह मद्देड बफर परिक्षेत्र का डिप्टी रेंजर बामदेव नाग को चार्ज दिया गया है. बामदेव नाग सामान्य वनमंडल में पदस्थ किए गए थे, उन्हें सामान्य वनमंडल से इन्द्रावती टायगर रिजर्व के मद्देड बफर का रेंज अफसर बना दिया गया. इसी तरह डिप्टी रेंजर राजेश बाकची को बीजापुर और सेंड्रा बफर रेंज का प्रभार मिला हुआ है. सामान्य वनमंडल का भी हाल यही है. यहां दो साल पहले रेंजर प्रेम शंकर यादव का स्थानांतरण हुआ था. उन्हें रेंज का चार्ज न देकर बांसागार का प्रभार दिया गया है, जबकि सामान्य वनमंडल में पदस्थ डिप्टी रेंजर सच्चिदानंद सिंह को बाकायदा मद्देड रेंज का चार्ज देकर उन्हें उपकृत किया गया है.

अफसरों की कमी से बनी स्थिति

बताया जा रहा है  कि पूर्व वनमंत्री से कहीं करीबी, कहीं रिश्तेदारी तो कहीं स्थानीय सत्ताधारी दल के नेताओं की अनुशंसा पर कई लोगों को उपकृत करने का काम किया गया है. लेकिन दूसरी ओर इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उप संचालक एमके चौधरी का कहना है कि वन विभाग में प्रभार वाली स्थिति पूरे बस्तर क्षेत्र में है. यह स्थिति अफसरों की कमी की वजह से है.