IndusInd Bank $1 Billion Capital Raise: इंडसइंड बैंक इन दिनों एक खामोश लेकिन बेहद निर्णायक मिशन पर काम कर रहा है। बैंक के भीतर की चुनिंदा टीमों को अचानक सक्रिय किया गया है, और इस हलचल का मकसद है करीब 1 अरब डॉलर की ताज़ा पूंजी जुटाना। सूत्रों के मुताबिक, यह ऑपरेशन सीधे CFO ऑफिस की एक छोटी, भरोसेमंद टीम के हाथ में है, जिसके सामने एक ही लक्ष्य रखा गया है, मार्केट की नब्ज देखकर सही समय पर धन जुटाना.

बैंक ने अब तक इक्विटी जुटाने के रास्ते खुले रखे हैं, चाहे वह QIP हो, प्रेफरेंशियल इश्यू हो या फिर किसी बड़े फंड के साथ रणनीतिक सौदा. टाइमलाइन अभी सीलबंद फाइल की तरह है, लेकिन अंदरखाने तैयारियां संकेत देती हैं कि जनवरी के आखिरी सप्ताह तक नई पूंजी सिस्टम में आ सकती है.

बाजार के बैंकरों का अनुमान है कि संभावित प्राइसिंग 875 से 950 रुपये प्रति शेयर के बीच तय की जा सकती है, हालांकि अंतिम फैसला इनवेस्टर्स से मिल रहे सिग्नल्स पर निर्भर करेगा.

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IndusInd Bank $1 Billion Capital Raise
IndusInd Bank $1 Billion Capital Raise

इनवेस्टर्स का गेम: 6000–7000 करोड़ की एंट्री की चर्चा

सूत्र बताते हैं कि बैंक के नए MD & CEO राजीव आनंद इन दिनों सिंगापुर में बड़े इनवेस्टर्स से लगातार मुलाकातें कर रहे हैं. इसी वजह से बाजार में चर्चा तेज है कि प्रेफरेंशियल इश्यू के ज़रिए आने वाला ताज़ा पैसा 6,000 से 7,000 करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है.

उधर प्रमोटर्स, खासकर IndusInd Holdings Ltd, अपनी हिस्सेदारी 15% से नीचे न जाने देने के लिए खुद भी 2,500–3,000 करोड़ तक की कैपिटल डालने की तैयारी में हैं.

फिलहाल प्रमोटर्स की संयुक्त हिस्सेदारी लगभग 15.8% है, और यही वजह है कि उन्हें भी इस राउंड में भाग लेना पड़ेगा. यह भी सामने आया है कि बैंक GIC जैसे बड़े सॉवरेन फंड्स के साथ चर्चा में है, जो इस डील की साइज को और भारी बना सकता है.

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परदे के पीछे की असली वजह: क्यों जरूरी हो गई फ्रेश कैपिटल?

कहानी सिर्फ विकास की नहीं है, बल्कि बैलेंस शीट को फिर से मजबूत करने की भी है. बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, FY26 की तीसरी और चौथी तिमाही में बैंक ‘क्लीन-अप फेज़’ में जा सकता है, और संभव है कि कुछ पुराने एक्सपोज़र पर राइट-ऑफ करने पड़ें. इसी कारण क्रेडिट कॉस्ट बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है.

बैंक पहले ही FY26 में 4,391 करोड़ रुपये की प्रोविजनिंग दिखा चुका है, और मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती छह महीने बैंक के लिए झटका लेकर आए, नेट प्रॉफिट साल-दर-साल 95% गिरकर सिर्फ 167 करोड़ रह गया. यह गिरावट मैनेजमेंट को संकेत दे चुकी है कि FY27 से पहले बैलेंस शीट को एक मजबूत नींव चाहिए.

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ECL का दबाव: समय कम और चुनौतियां ज्यादा (IndusInd Bank $1 Billion Capital Raise)

बैंकों के लिए Expected Credit Loss (ECL) का नया ढांचा आने ही वाला है. हालांकि गाइडलाइंस अंतिम रूप में नहीं आईं, लेकिन अधिकांश बैंक इसके प्रभाव का आकलन शुरू कर चुके हैं.

इंडसइंड बैंक को भी FY27 से पहले ECL को अपनाने की तैयारी करनी होगी, और यही वह दूसरा बड़ा कारण है जिसमें बड़ी पूंजी की जरूरत टूटकर सामने आती है. मार्केट जानता है कि ECL के लागू होते ही बैंकों की प्रोविजनिंग पैटर्न बदल जाएगा, और हिचकिचाने का जोखिम बिल्कुल नहीं है.

इंडसइंड बैंक की मौजूदा परिस्थितियां किसी सामान्य कैपिटल रेज़िंग की कहानी नहीं हैं. यह एक रणनीतिक पुनर्निर्माण, एक वित्तीय सुधार, और एक नई शुरुआत की तैयारियों का संकेत है. जनवरी के आखिर में क्या बैंक वाकई यह बड़ा कदम उठाएगा, यही वह Suspense है जिसने पूरे वित्तीय बाजार की आंखें इस एक बैंक पर टिका दी हैं.

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