Mahakumbh 2025. पौष पूर्णिमा अमृत स्नान के साथ ही 144 वर्ष पश्चात महाकुम्भ का शुभारंभ हो गया है. संगम तट पर श्रद्धालुओं ने पवित्र मां गंगा में डुबकी लगाकर संस्कृति के इस महासमागम में अपनी भागीदारी की. भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक विहंगम दृश्य आज संगम तट पर जीवंत हो उठा है, विश्व की प्राचीनतम संस्कृति आज अपने दिव्य और भव्य स्वरूप में दिखाई दे रही है. इस बीच प्रयागराग में मीडिया सेंटरों की व्यवस्था समेत अन्य इंतजाम देखने के लिए निदेशक सूचना IAS शिशिर बाइक पर निकले. निदेशक सूचना ने व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए संबंधित अधिकारियों को उचित दिशा निर्देश दिए.

बता दें कि पौष पूर्णिमा के पवित्र अमृत स्नान के साथ सोमवार को प्रयागराज त्रिवेणी पर महाकुम्भ का शुभारंभ हो गया है. जाति, मत, पंथ के भेद के बिना श्रद्धालु संगम तट पर सनातन संस्कृति की परंपराओं का पालन करने लाखों की संख्या में एकत्र हुए हैं. प्रयागराज के संगम तट पर आज लाखों श्रद्धालु बिना किसी भेदभाव और पक्षपात के अपनी प्राचीन परंपराओं का पालन करेंगे. महाकुम्भ 2025 के पहले अमृत स्नान पर सोमवार को संगम तट भारत की प्राचीन संस्कृति की आभा से दैदीप्यमान हो रहा है.

इसे भी पढ़ें : Kumbh mela 2025 : महाकुंभ में कारोबार और परोपकार का संगम, व्यापार को मिल रही मजबूती, भंडारों में बंट रहा प्रसाद

सूर्य की पहली किरण के साथ संगम तट गंगा मैया की जय और हर हर महादेव के उद्घोष से गूंज रहा है. भगवान सूर्य को जल देते श्रद्धालु भारत की प्राचीन परंपराओं का ह्रदय से पालन करते हुए पुण्यलाभ कमा रहे हैं. सूर्यदेव की पहली किरणों से जगमगाता प्रयागराज का संगम तट आज विश्व के सामने भारतीय संस्कृति, आस्था, अध्यात्म और श्रद्धा का एक सजीव उदाहरण बन गया है. आज पूरी दुनिया में महाकुम्भ के प्रति अपार उत्साह दिख रहा है. यह महापर्व सभी कुम्भ पर्वों के सापेक्ष कहीं अधिक दिव्य और भव्य होगा. संतों के आशीर्वाद और आम जनमानस के सहयोग से महाकुम्भ-2025 नए कीर्तिमान रचेगा.