Infosys Share Price. पिछले कुछ दिनों से दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. भारत की शीर्ष 7 आईटी कंपनियों में से पांच ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अपने नतीजे जारी कर दिए हैं. वैश्विक कारोबारी माहौल कठिन होता जा रहा है.

जीडीपी ग्रोथ में कमजोरी को देखते हुए आईटी कंपनियों ने अपना रेवेन्यू गाइडेंस कम कर दिया है. इंफोसिस, एचसीएल टेक और एलएंडटी टेक सर्विसेज के साथ-साथ हैपिएस्ट माइंड ने भी चालू वित्त वर्ष की शेष दो तिमाहियों के लिए अपने राजस्व मार्गदर्शन पूर्वानुमान में कटौती की है.

विप्रो ने कहा है कि उसका राजस्व मार्गदर्शन वृद्धि अनुमान बहुत कमजोर हो सकता है। एलटी माइंड ट्री और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने राजस्व वृद्धि मार्गदर्शन लक्ष्य नहीं दिए, लेकिन टीसीएस ने कहा कि इस वर्ष राजस्व वृद्धि एकल अंक में हो सकती है.

विप्रो ने हाल ही में अपने सितंबर तिमाही के नतीजे जारी किए और कहा कि अगली तिमाही के लिए उसका राजस्व वृद्धि मार्गदर्शन उम्मीद से काफी कम रह सकता है. इसमें 3.5 से 1.5 फीसदी की निगेटिव ग्रोथ देखने को मिल सकती है. विप्रो की मुख्य वित्तीय अधिकारी अपर्णा अय्यर ने कहा है कि वैश्विक कारोबारी माहौल नरम है और इसका असर राजस्व मार्गदर्शन पर देखा जा सकता है.

भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत में अपना राजस्व मार्गदर्शन कम कर दिया था. इंफोसिस ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए अपने राजस्व मार्गदर्शन को और कम कर दिया है. इंफोसिस का अनुमान है कि उसकी रेवेन्यू ग्रोथ 1 से 2.5 फीसदी के बीच रह सकती है.

इंफोसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख ने शेयर बाजार विश्लेषकों से कहा है कि दुनिया के कई देशों में बड़ी व्यावसायिक योजनाओं में देरी हो रही है और नए सौदे मिलने में लगने वाला समय भी बढ़ गया है.

इंफोसिस के सलिल पारेख ने कहा है कि आने वाली तिमाही में बड़ी कंपनियों का आईटी पर खर्च कम हो रहा है और ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम धीमा हो रहा है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी ऐसा ही हो रहा है. पारेख ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही आईटी सेक्टर के लिए कमजोर साबित हो सकती है.

जेएम फाइनेंशियल के विश्लेषकों ने कहा है कि आईटी कंपनियों के राजस्व मार्गदर्शन में लगातार कटौती के कारण वैश्विक आर्थिक माहौल में नरमी के संकेत मिल रहे हैं. इसी वजह से दुनिया भर के शेयर बाजारों में कमजोरी दर्ज की जा रही है क्योंकि चालू वित्त वर्ष में वैश्विक जीडीपी ग्रोथ कमजोर रहने की आशंका है.

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