शब्बीर अहमद, भोपाल। कोरोना की इस महामारी की चपेट में आने से न सिर्फ लोगों की मौतें हो रही है बल्कि इंसानियत भी दम तोड़ने लगी है। मुनाफाखोरों ने इस आपदा को ही अवसर समझ लिया, आलम यह है कि मुख्यमंत्री के आदेश को भी ये अब कुछ नहीं समझ रहे हैं। कोरोना महामारी की दोहरी मार झेल रही जनता की तकलीफों को कम करने के लिए मुख्यमंत्री ने आयुष्मान योजना के तहत निशुल्क इलाज का आदेश दिया था लेकिन राजधानी के एक अस्पताल ने इस आदेश को ही मानने से साफ इंकार कर दिया। और तो और जब मरीज के परिजनों ने मुख्यमंत्री के आदेश का हवाला दिया तो उन्हें अस्पताल से धक्के मार कर बाहर फिकवा दिया गया। इस खबर पर आगे बात करने से पहले अस्पतालों के अमानवीय चेहरों की इस एक बानगी को भी देख लीजिये।

जिस युवक को अस्पताल से बाहर फिकवाने की बात की जा रही है, उसका नाम योगेश बलवानी है। योगेश की मां कोरोना पॉजीटिव आने के बाद पिछले 19 अप्रैल से चिरायु अस्पताल में भर्ती थी। शनिवार शाम को उनकी मौत हो गई। ये वीडियो उससे एक दिन पहले का है। वीडियो एक शख्स खुद को चिरायु मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल का जिम्मेदार अऑरिटी बता रहा है। इलाज के नाम पर मरीज के परिजनों से लाखों रुपये लेने वाले इस शख्स की शैली तो देखिये, किस तरह सरकार को चैलेंज कर रहा है। सूबे के मुख्यमंत्री का आदेश इऩ साहब के लिए कुछ नहीं हैं, जो कह रहा है कि हमारे अस्पताल में आयुष्मान कार्ड नहीं चलेगा। सरकार को जो जवाब देना होगा हम दे देंगे। जबकि यह अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत रजिस्टर्ड अस्पतालों की सरकारी सूची में शामिल है। सरकार का आदेश है कि आयुष्मान कार्ड होने पर मरीजों को पैसा नहीं देना होगा।

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पीड़ित योगेश बलवानी को अस्पताल से धक्के मारकर बाहर फेंक दिया जाता है। योगेश का कहना है कि वह अब तक 3 से साढ़े तीन लाख रुपये इलाज का दे चुका था। उसके पास और पैसे नहीं थे अस्पताल को देने के लिए। इसलिए उसने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस आदेश का हवाला दिया और उसका नतीजा यह कि उसे अस्पताल से बाहर फेकवा दिया गया।

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युवक के अनुसार वीडियो बनाने के दूसरे दिन शाम को उसकी मां को मृत घोषित कर दिया गया। युवक का आरोप है कि अंतिम संस्कार के लिए मां के शव को भी नहीं दिया जा रहा था। अस्पताल प्रबंधन उससे बाकी बचे बिल के भुगतान पर अड़ा हुआ था। अस्पताल प्रबंधन के लोगों के पैर में गिड़गिड़ाने के बाद उन्हें शव दिया गया। अंतिम संस्कार कर जैसे ही वे लौटे अस्पताल से पैसे जमा करने का अल्टीमेटम दिया गया और कहा गया कि उनकी मां का डैथ सर्टिफिकेट भी नहीं देंगे।

मामला सामने आने के बाद कांग्रेस ने अस्पताल प्रबंधन के इस अमानवीय रवैय्ये पर सवाल उठाया है। पूर्व पीसीसी अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्वीट कर कहा कि सरकार चिरायु अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द करेगी या गुंडगर्दी पर चुप्पी साधे रहेगी।

अरुण यादव ने ट्वीट कर कहा, “शिवराज सिंह जी क्या अब सरकार चिरायु हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्यवाही करेगी ? या आपको ज्यादा ही आत्मीय लगाव है, जो गुंडागर्दी कर रही है और सरकार चुप्पी साधे हुए है।”

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