सत्यपाल सिंह,रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोरोना वायरस के चलते INICET की परीक्षा को टाल दिया. देश भर के एम्स ने अल्पावधि में 16 जून को आईएनआईसीईटी की परीक्षा आयोजित कर दिया था. कोर्ट ने परीक्षा बोर्ड को निर्देशित करते हुए 1 महीने के लिए टाल दिया है. परीक्षा आयोजित करने के एक माह पहले परीक्षार्थियों को सूचित करने के दिए निर्देश दिए हैं. परीक्षा के नोटिफिकेशन के बाद मेडिकल स्टूडेंट नेटवर्क के नेशनल काउंसिल मेंबरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश भर के जूनियर डॉक्टरों में खुशी की लहर है.

डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि पूरे देश भर के डॉक्टर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी छोड़कर कोविड महामारी में हॉस्पिटलों में सेवा दे रहे थे. कुछ सेवा देते हुए कोरोना से ग्रसित हो गए थे, तो कुछ क्वॉरेंटाइन में थे. यातायात की असुविधा होने के कारण देशभर के डॉक्टर परीक्षा स्थल तक पहुंचने में असमर्थ थे. इसी बीच एम्स में एकाएक 28 अप्रैल को आईएनआईसीईटी परीक्षा का नोटिफिकेशन केवल 19 दिन की अल्पावधि में आयोजित कर दिया था. जिसके विरोध में 23 डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. जिसमें छत्तीसगढ़ के दो डॉक्टर, बाकी अन्य राज्यों से है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा एक महीने के लिए टाल दिया है.

डॉक्टर क्षितिज ठाकुर ने कहा कि देश भर के डॉक्टर इसके विरोध में थे. मेडिकल स्टूडेंट नेटवर्क छत्तीसगढ़ के संयोजक और प्राइवेट हॉस्पिटल बोर्ड छत्तीसगढ़ के प्रमुख डॉ राकेश गुप्ता मार्गदर्शन में डॉ. रेशम सिंह रत्नाकर, डॉ योगेश्वर जायसवाल और मेडिकल स्टूडेंट नेटवर्क के नेशनल काउंसिल मेंबर मेहुल केडिया और राघव मोहन ने इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. जिसके मुख्य पिटीशनर रेशम सिंह है. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए परीक्षा को 1 महीने के लिए टाल दिया है. परीक्षा बोर्ड को निर्देशित किया है कि परीक्षा आयोजित करने के न्यूनतम 1 महीने पूर्व परीक्षार्थियों को सूचित किया जाए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश भर के जूनियर डॉक्टरों के बीच खुशी की लहर है.

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