अमित शर्मा, श्योपर। नसबंदी शिविर में स्वास्थ्य विभाग की भारी लापरवाही सामने आई है। अव्यवस्था को लेकर महिलाओं के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। हंगामे की खबर पर कलेक्टर शिवम वर्मा देर रात अस्पताल पहुंचे और जिम्मेदार ब्लॉक को-आर्डिनेटर की सेवाएं समाप्त कर दी। उन्होंने सीएमएचओ और बीएमओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
मामला बड़ौदा के सामुदायिक सवास्थ्य केंद्र का है, जहां मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा नसबंदी शिविर आयोजित की गई थी। इस दौरान नसबंदी करने वाले डॉक्टरों ने दोपहर करीब 2 बजे महिलाओं को बेहोशी के इंजेक्शन लगा दिए। इसके बाद महिलाएं जमीन पर घंटों पड़ी रहीं। इतनी संख्या में महिलाएं पहुंची थी कि उनके लेटने के लिए जमीन पर भी जगह कम पड़ गई। फिर भी लापरवाह डॉक्टर महिलाओं की नसबंदी करने के बजाए टारगेट पूरा करने के लिए भीड़ बढाते रहे। रात करीब 8-9 बजे तक महिलाएं भूखी-प्यासी जमीन पर ही पड़ी रहीं, जिसे लेकर महिलाओं के परिजनों ने जमकर हंगामा कर दिया।
सरकारी वाहनों से महिलाओं को उनके घरों तक पहुंचाया
मामले की जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर शिवम वर्मा ने मौके पर पहुंचकर प्रशासनिक टीम की मदद से उन्हें खाना-पानी उपलब्ध करवाया और सरकारी वाहनों से महिलाओं को उनके घरों तक पहुंचाया। जिन महिलाओं की नसबंदी हो गई थी उन्हें ऑब्जर्वेशन रूम में भर्ती कराया। इसके बाद मामला शांत हुआ। डॉक्टरों की इस बड़ी लापरवाही से नसबंदी कराने वाली महिलाओं की जान भी जा सकती थी।
महिलाओं को जमीन पर जानवरों की तरह लिटाया गया
शासन की गाइडलाइन के अनुसार नसबंदी शिविरों में बेड से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर व अन्य जरूरी संसाधनों के पर्याप्त इंतजाम होना चाहिए। श्योपुर के बड़ौदा अस्पताल के इस नसबंदी शिविर में इस तरह के कोई भी इंतजाम नहीं थे. महिलाओं को जमीन पर जानवरों की तरह लिटाया गया था। एक पीडि़ता के परिजन रामवीर ने बताया कि, शिविर में महिलाओं को जमीन पर लिटाया गया और उन्हें कई घंटे पहले बेहोशी के इंजेक्शन लगाकर देर शाम ऑपरेशन तक नहीं किया गया। इस दौरान वे भूखी-प्यासी जमीन पर पड़ी रहीं।
बड़ी लापरवाही पर कलेक्टर ने तत्काल लिया संज्ञान
कलेक्टर शिवम वर्मा ने इस बड़ी लापरवाही पर त्वरित कार्रवाई करते हुए बड़ौदा स्वास्थ्य विभाग की ब्लॉक कोर्डिनेटर की सेवाएं समाप्त कर, सीएमएचओ डॉ बीएल यादव, बीएमओ सियाराम मीणा को नोटिस जारी किया है। कलेक्टर का कहना है कि, प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से महिलाओं को खाना-पानी उपलब्ध करवाकर गाडिय़ों से उनके घर भिजवाया गया और जिन महिलाओं की नसबंदी हो गई उन्हें वार्ड में भर्ती कराया है।