संदीप सिंह ठाकुर, लोरमी। आखिर घटना के 9 घंटे बाद डीएफओ की मौजूदगी में भालू का अंतिम संस्कार हुआ, लेकिन इस मौत ने दो विभागों को कठघरे में खड़ा कर दिया है. इधर मृत भालू को लेकर रेंजर ने कहा कि करंट तार की चपेट में आने से मौत हुई, उधर बिजली विभाग के अधिकारी ने कहा कि टूटे हुए तार में बिजली सप्लाई ठप थी, ऐसे में सवाल ये है कि आखिर कौन किसे बचाने में लगा है और सच्चाई पर कौन पर्दा डाल रहा है. पढ़िए पूरी खबर.
दरअसल, मुंगेली जिले के खुड़िया वन परिक्षेत्र अंतर्गत चचेड़ी बीट के कक्ष क्रमांक 492 में एक दिन पहले यानी कल सुबह मृत नर भालू का शव वन क्षेत्र में पड़ा मिला था. वहीं इस मामले में अब नया मोड़ सामने आया है. इस घटना को लेकर खुड़िया के रेंजर लक्ष्मण दास पात्रे ने बताया कि मृत नर भालू की मृत्यु 11हजार केव्ही हाई वोल्टेज तार के करंट की चपेट में आने से हुई है, जिसके निशान भालू के शरीर में दिखाई दे रहे हैं.
वहीं बिजली विभाग के अधिकारी सौरभ विश्वकर्मा ने बताया कि 11हजार केव्ही तार जहां से गुजरा है. वहां आगे कोई भी ट्रांसफार्मर नहीं है. जहां से बिजली की सप्लाई हो सके. वहीं 11 हजार केव्ही हाई वोल्टेज तार जब पेड़ की डाली टूटने से तार में फंस गया. इस दौरान तार टूट गए, जिसमें बिजली तार टूटने के बाद से करंट प्रवाहित नहीं थी.
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जंगल में मोर नाचा किसने देखा. यह चरितार्थ हो रहा है. साथ ही इस पूरे मामले में अब वन विभाग अपनी नाकामयाबी छुपाने दूसरे विभाग पर आरोप लगाते हुए नजर आ रहे हैं. इस बात का प्रमाण बिजली विभाग दे रहा है.
जानकारों के बताए अनुसार वन विभाग के एसडीओ की मौजूदगी में पोस्टमार्टम से लेकर अंतिम संस्कार होना था. हालांकि एसडीओ की गैर मौजूदगी में मुंगेली की डीएफओ शमा फारुखी के आने पर मृत भालू के शव का अंतिम संस्कार किया गया. इन सबके बीच एसडीओ मानवेंद्र मारकंडे मौके से नदारद रहे.
पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से पहले रेंजर की भविष्यवाणी
नर भालू की मौत का कारण खुड़िया के रेंजर लक्ष्मण दास पात्रे ने ताल ठोकते हुए दावा किया है कि भालू की मौत 11हजार हाई वोल्टेज करंट तार की चपेट में आने से हुई है, जबकि बिजली विभाग के अधिकारी सौरभ विश्वकर्मा ने बताया कि उक्त टूटे हुए 11हजार केव्ही तार में रात से ही बिजली की सप्लाई पूरी तरह ठप थी. उस करंट तार की चपेट में आने से भालू की मौत होती तो वहां आसपास बिखरे हुई सूखी पत्तियां भी जल जाती.
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब मृत नर भालू का पोस्टमार्टम करने वाले पशु चिकित्सक शिव पटेल ने अब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट विभाग को सौंपा तक नहीं है. ऐसे में खुड़िया के रेंजर लक्ष्मण दास पात्रे ने शासकीय चिट्ठी जारी कर भालू की मृत्यु 11हजार केव्ही हाई वोल्टेज करंट तार की चपेट में आने से बता दिया. ऐसे में बिजली विभाग के अधिकारी सौरभ विश्वकर्मा यानी वन विभाग और बिजली विभाग के अधिकारी आमने सामने नजर आ रहे हैं.
नर भालू की मौत पर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मौन..
स्थानीय लोगो की माने तो क्षेत्र में अवैध कटाई और जंगली जानवरों का शिकार बदस्तूर जारी है. इस पूरे मामले में विभाग के जिम्मेदार बड़े अधिकारी डीएफओ शमा फारुखी की मौजूदगी में पोस्टमार्टम के बाद मृत भालू का अंतिम संस्कार कारीडोंगरी के निरीक्षण कुटीर में कर तो दिया गया, लेकिन अब तक इस पूरे मामले में विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे हुए हैं. आलम यह है कि जंगली जानवरों का क्षेत्र में धड़ल्ले से शिकार हो रहा है.
इस पर अंकुश लगाने वाले अधिकारी कर्मचारी जंगल मे गस्त ही नहीं करते. ऐसे में यह कहना गलत नही होगा कि जंगल की सुरक्षा का जिनकी जिम्मेदारी है, वे निष्क्रिय तो वही तस्कर सक्रिय नजर आ रहे हैं. यह आरोप भी स्थानीय लोग लगा रहे हैं कि उन्हें जंगल में होने वाले जंगली जानवरों की मौत से कोई लेना देना नहीं है.
वहीं इस घटना के बाद सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आनन फानन में खुड़िया के रेंजर ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी खुड़िया के उपयंत्री के नाम एक पत्र जारी किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि खुड़िया वन परिक्षेत्र के अंतर्गत कक्ष क्रमांक 492 आर.एफ. से मुख्य विद्युत लाइन तार फैला कर गुजारा गया है, जिसका निरंतर रखरखाव के अभाव में वन क्षेत्र में कई अप्रिय घटना घटती जा रही है.
वर्तमान में दिनांक 20.04.2023 के मध्य रात्रि में हाई वोल्ट 11हजार केव्ही के विद्युत लाइन तार टूट जाने के कारण एवं विद्युत तार टूटने के उपरांत भी विद्युत प्रवाहित होने के कारण एक नर भालू का मृत्यु हो गई है. इसी प्रकार आपके लोगों के द्वारा वन क्षेत्र में खुली विद्युत लाइन तार गुजारने से ग्रामीणों के द्वारा अवैध हुकिंग कर उसमें विद्युत प्रवाहित कर वन्य प्राणियों की अवैध शिकार किया जाता है.
ऐसी एक प्रकरण भूतकछार ग्राम में पकड़ में आया था, जिसमें विभागीय कार्रवाई करते हुए प्रकरण पंजीबद्ध कर प्रकरण माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है. इस प्रकार की घटना पूर्व में इस क्षेत्र में हो चुका है जिसमें दो ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है. इस प्रकार की घटना को रोकने की कार्रवाई करने के लिए रखरखाव एवं निरंतर गश्त करना सुनिश्चित करें, ताकि किसी प्रकार की जान, माल की क्षति को रोका जा सके.
बहरहाल, देखना होगा इस पूरे मामले में लापरवाही किसकी है. क्या वन विभाग के क्षेत्रीय और जिम्मेदार अधिकारी इस मामले को दबाने में जुटा है या इस पूरी घटना में नर भालू की मौत का कारण कुछ और भी है, जिसमें विभाग पर्दा डालने का काम कर रही है. या फिर बिजली विभाग नाकामयाबी छिपाने झूठी कहानी गढ़ रहे हैं. इस पूरे मामले का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अलावा विभागीय जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
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