पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। वक्त करीब 9 बजे, एक मैकेनिक परमिट लेता है और खंभे पर चढ़ जाता है. बात बिजली की थी, लोगों को परेशानियां थी, फोन आया और मैकेनिक कंट्रोल रूम से परमिट लेकर जंफर जोड़ने लगा. विभाग के एक कर्मचारी ने उस लाइन को चालू कर दिया. हाथ में न सुरक्षा किट और न कोई बचाव के सामान थे, बिजली झटके से आई और मैकेनिक को पल भर में भुन गया. मैकेनिक की ऑन द स्पॉट डेथ हो गई. मौत से हड़कंप मच गया. विभाग की लापरवाही उजागर हुई, लेकिन जिम्मेदार खुद को बचाते नजर आए. बताया जा रहा है कि विभाग में स्टॉफ की कमी है, जिससे ठेकाकर्मी बलि का बकरा बन रहे हैं. अब तक इलाके में 5 ठेकाकर्मी काल के गाल में समा गए, लेकिन रवैया जस के तस जारी है.
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, देवभोग वितरण केंद्र में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक के लिए पावर कट ऊपर से घोषित था. दिन भर के लिए बिजली गुल होने वाली थी, लेकिन ठेका कर्मी की जल्दबाजी ने उसे मौत के मुंह तक पंहुचा दिया. मूच बहाल में 11 केव्ही लाइन का जंफर कट गया था, जिसे जोड़ने के लिए आज सुबह लगभग 8.50 बजे बिजली कर्मी गजेंद्र मांझी ने बाई फोन कंट्रोल रूम से परमिट लेकर चढ़ गया.
बड़ी चूक के कारण मौत
काम पूरा होने से पहले ही परमिट वापस करने की बड़ी चूक के कारण 11 केव्ही में करंट दौड़ी और 9 बजे के आसपास गजेंद्र मांझी की मौत हो गई. करंट से चिपकने के बाद कुछ देर तड़पता रहा. घटना के सूचना के बाद विभाग के सहायक अभियन्ता यशवंत ध्रुव और देवभोग पुलिस मौके पर पहुंचे. आवश्यक कार्रवाई कर पीएम के बाद शव परिजनों के सुपर्द कर दिया.
थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने कहा कि मर्ग कायम किया गया है. मामले की जांच की जाएगी. वहीं सहायक अभियंता यशवंत ध्रुव ने कहा कि मामले में प्रथम दृष्ट्या कंट्रोल रूम में ऑपरेट की गलती नजर आ रही है. विधिवत जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई होगी. मृतक परिवार को भी बीमा के प्रावधान के तहत आर्थिक मदद दी जाएगी.
ऑपरेटर भूल गया गजेंद्र की परमिट
मिली जानकारी के मुताबिक धौराकोट फीडर के लिए अधिकृत सविदा कर्मी दीपेश राव ने झराबहाल के खंभे में आए फाल्ट के सुधार के लिए 8.45 बजे परमिट लिया. काम 9 बजे के आसपास खत्म कर कंट्रोल रूम में बैठे कर्मी गोस्वामी दास सांडिल्य को काम खत्म होने की जानकारी दी.
इसी समय गजेंद्र मांझी दीपेश राव के जानकारी के बगैर उसके फीडर में जंफर जोड़ने खंभे पर चढ़ा था. गजेंद्र के फाल्ट सुधार की जानकारी केवल कंट्रोल रूम कर्मी के पास थी,गजेंद्र गिरशुल फिडर में काम करने वाले गैंग का सदस्य था, जिसके कारण दीपेश उसके लोकेशन से अनजान था. दीपेश राव के परमिट वापसी के समय शायद कंट्रोल रूम कर्मी गजेंद्र के काम को भूल गया. लाइन चालू करते वक्त बड़ा हादसा हो गया.
स्टाफ की कमी ने परमिट प्रोटोकॉल को बिगाड़ा
बिजली विभाग ने मेंटेंनेंस कार्य का परमिट अहम हिस्सा होता है, तय नियम के मुताबिक विभाग के नियमित कर्मी को कंट्रोल रूम में निर्धारित पंजी में लिखित उल्लेख कर परमिट(बिजली सप्लाई रोकना) लेना होता है. काम खत्म होने की भी लिखित एंट्री के बाद परमिट वापसी का प्रावधान है, लेकिन यहां स्टाफ की भारी कमी को देखते हुए इस नियम के पालन में भारी ढील दी गई है. हादसा भी इसी ढील का परिणाम था.
गजेंद्र मांझी आउट सोर्स कर्मी था, परमिट देने के लिए कंट्रोल रूम की जवाबदारी भी ठेका कर्मी है. बगैर किसी जवाबदार और अधिकृत कर्मी के ही परमिट दे दिया गया था. गजेंद्र का दूसरे फीडर में काम करना भी जांच का विषय है.
5 से ज्यादा कर्मियों ने गंवाई जान
काम पर लगे ज्यादातर कर्मी सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं देते. खंभे में चढ़ने से पहले डिस्चार्ज रॉड, झूला, सेफ्टी बेल्ट, दस्ताना जैसे आवश्यक सामग्री का उपयोग नहीं किया गया. विगत 20 वर्षों में मेंटेनेस के वक्त अलग अलग फिडर में 5 से ज्यादा कर्मियों ने अपनी जान गंवाई है.
कितनी और जिंदगियां छिनेगा सिस्टम ?
वहीं विभाग डीई अतुल तिवारी मामले की जांच के लिए पहुंचे थे. 4 घंटे तक अफसर ने घटना से जुड़े 5 लोगों का कथन लिया. उनकी जांच हादसे पर केंद्रित थी, लेकिन जिन कमियों की वजह से यह हादसा हुआ, उसकी भरपाई कैसे और कब होगी, अब तक इस पर कोई चर्चा तो नहीं हुई. बड़ा सवाल है कि कमियों के चलते हो रही कितनी मौतों के बाद इनकी भरपाई होगी ?.
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