Inside Story Of Panchkula Mass Suicide: हरियाणा (Haryana) के पंचकूला में एक ही परिवार के 7 लोगों ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। परिवार के सभी 7 लोगों के शव कार में पड़े मिले। कारोबार में घाटा और कर्ज के बोझ तले परिवार का हर सदस्य पाई-पाई को मोहताज हो गया। रोज-रोज की टेंशन और दुख की घड़ी में अपनों ने भी साथ छोड़ा तो देहरादून का मित्तल परिवार टूटकर बिखर गया। सभी सदस्य कार से पंचकूला में जारी बागेश्वर धाम सरकार के हनुमंत कथा सुनने पहुंचे। कथा सुनने के बाद सभी वापस जाने के दौरान पंचकूला के सेक्टर 27 में एक मकान के बाहर कार खड़ी की और जहर खाकर जीवनलीला समाप्त कर ली। मृतकों में माता-पिता, पति-पत्नी और तीन बच्चे शामिल हैं।

इस घटना से हड़कंप मच गया है। जिस कार में ये सातों शव मिले हैं, वह कार पंचकूला के सेक्टर 27 में एक मकान के बाहर सड़क पर खड़ी थी। इसका नंबर देहरादून का है। यानी परिवार देहरादून का रहने वाला था।
परिवार पंचकूला के मनसा देवी कॉम्प्लेक्स में किराए के मकान में रह रहा था। मरने वालों का नाम प्रवीण मित्तल (Praveen Mittal), पत्नी रीना, मां विमला, पिता देशराज, जुड़वां बेटी हिमशिखा, दलिशा (11) और बेटा हार्दिक (14) है। प्रवीण मित्तल ने देहरादून में टूर एंड ट्रैवल्स का कारोबार शुरू किया था। वहां उसे घाटा हो गया था।

कार से मिला सुसाइड नोट
प्रवीण मित्तल अपने परिवार के साथ पंचकूला में आयोजित बागेश्वर बाबा की हनुमंत कथा कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। कार्यक्रम खत्म होने के बाद देहरादून वापस जाते हुए उन्होंने सामूहिक आत्महत्या का यह कदम उठाया। पुलिस ने मृतकों के पास कार से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है। हालांकि सुसाइड नोट में क्या लिखा है, इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
कर्ज में डूबा पूरा परिवार खत्म
जानकारी के मुताबिक प्रवीण ने हाल ही में खूब अरमानों के साथ देहरादून में ही टूर एंड ट्रैवल का बिजनेस शुरू किया था। उसने अपने कारोबार को बेहतरीन बनाने के लिए खूब पैसा भी लगाया था। हालांकि उसे कारोबार में तरक्की नहीं मिली और उसका बिजनेस चल नहीं पाया। ऐसे में अपने पास का एक-एक रुपया कारोबार में लगा चुके प्रवीण बिजनेस न चल पाने की वजह से पूरी तरह कर्ज में डूब गए थे।
प्रवीण के पास इतने पैसे भी नहीं बचे थे कि वह अपने परिवार का सही से भरण-पोषण कर ले। इस सब से तंग आकर प्रवीण ने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या करने का फैसला किया और पंचकूला में कथा से लौटते समय कार में ही जहर खा लिया। इस तरह कर्ज तले दबकर एक पूरा परिवार खत्म हो गया।
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कार में 2 पेज का सुसाइड नोट मिला
पुलिस ने जांच की तो कार में 2 पेज का सुसाइड नोट मिला। उसमें लिखा हुआ था, “मैं बैंकरप्ट हो चुका हूं। मेरी वजह से ही ये सब कुछ हुआ है। मेरे ससुर को कुछ मत कहना। अंतिम संस्कार समेत जितने भी रस्में होंगी वो मामा का लड़का निभाएगा।” पूरा सुसाइड नोट पुलिस के अधिकारियों के पास है।
चश्मदीद की जुबानी पूरी कहानी
इस सामूहिक सुसाइड के बारे में चश्मदीद पुनीत राना ने बताया कि कार हमारे घर के पास थी। किसी ने हमें बताया कि बाहर एक गाड़ी खड़ी है। जिसपर टॉवल रखा है, जब हम मौके पर पहुंचे और पूछा तो परिवार के मुखिया प्रवीण मित्तल ने बताया कि हम बाबा के प्रोग्राम में आये थे. होटल नहीं मिला है इसीलिए गाड़ी में सो रहे हैं।

इस पर हमने उनको बोला कि गाड़ी यहां से हटा लो कहीं और लगाओ। हमने कार के अंदर झांका तो देखा कि सबने एक दूसरे पर उल्टी की हुई थी। ऐसे में प्रवीण मित्तल गाड़ी से बाहर निकले. उन्होंने हमें बताया कि मैंने भी ज़हर खाया है। हम लोग बहुत कर्ज में डूबे हुए हैं। मेरे रिश्तेदार बहुत अमीर हैं, लेकिन मेरी किसी ने मदद नहीं की। इसके बाद मैंने अंदर बैठे बच्चों को भी हिला कर देखा, लेकिन कोई हिल नहीं रहा था।
इसके कुछ ही देर में पुलिस भी आ गई। कार के अंदर से बहुत ज्यादा बदबू आ रही थी। कार में दवा का एक टैबलेट भी पड़ा था। चश्मदीद पुनीत ने यह भी बताया कि पुलिस जल्दी आ गई थी, लेकिन एंबुलेंस 40 -45 मिनट बाद आई। अगर समय पर एंबुलेंस आती तो शायद लोगों की जान बच जाती। सिर्फ प्रवीण ही कार से बाहर निकले थे, लेकिन कुछ देर में उनकी भी मौत हो गई।
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देहरादून के कौलागढ़ में रहता था प्रवीण
पुलिस के अनुसार, प्रवीण मित्तल का परिवार लगभग 7-8 महीने पहले तक देहरादून के कौलागढ़ में किराए के मकान में रहता था, लेकिन अब वे वहां से जा चुके थे। जिस गाड़ी में प्रवीण ने अपने परिवार के साथ जहर खाया, वह देहरादून के मालदेवता निवासी गंभीर सिंह नेगी के नाम पर रजिस्टर्ड है।गंभीर सिंह ने बताया कि उनकी मुलाकात प्रवीण मित्तल से एक NGO के काम के सिलसिले में हुई थी। प्रवीण “चाइल्ड लाइफ केयर मिशन” नाम से एक NGO चलाते थे। इसी सिलसिले में दोनों में दोस्ती हो गई थी, और गंभीर सिंह ने अपने नाम पर गाड़ी फाइनेंस करवाकर प्रवीण को दी थी।
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