Tirupati Temple Stampede Video: हिंदू आस्था के प्रसिद्ध केंद्रों में से एक आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में बुधवार देर रात हुई भगदड़ में मरने वालों की संख्या 6 पहुंच गई है। वहीं हादसे में 40 से अधिक लोग घायल हुए हैं। 10 जनवरी को वैकुण्ठ एकादशी (Vaikuntha Ekadashi) का शुभ दिन होने के कारण हजारों की संख्या में लोग वैकुण्ठ द्वार (vaikunth dwar) दर्शन के लिए पहुंचे थे।भक्तों को ट्रस्ट की ओर से टोकन दिया जा रहा था। भीड़ काफी होने के कारण भगदड़ मच गई। इसके बाद मंदिर परिसर में हर तरफ चीख पुकार मच गई। मामला थोड़ा शांत हुआ, तबतक एक महिला समेत 6 लोगों की मौत हो चुकी थी। वहीं 40 से अधिक लोग घायल हो गए।
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तिरुपति मंदिर हादसे का वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है। लोग एक दूसरे को कुचलने पर आमदा है। भीड़ इतनी ज्यादा है कि व्यवस्थापक और पुलिसकर्मी भी उसे कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। जमीन पर गिरे हुए लोगों की जान बचाने के लिए लोग और पुलिसकर्मी उन्हें सीपीआर देने की कोशिश कर रहे हैं।
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जानें कैसे मची भगदड़
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने गुरुवार, 9 दिसंबर की सुबह से द्वार दर्शन के लिए टोकन जारी करने की व्यवस्था की गई थी। सुबह 5 बजे से 9 काउंटरों पर टोकन बांटने का कार्यक्रम था। हालांकि शुभ दिन होने के कारण 8 जनवरी की रात से ही लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी। टोकन के लिए अलीपिरी, श्रीनिवासम, सत्यनारायणपुरम और पद्मावतीपुरम में भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई थी। कुछ ही देर में 4 हजार से ज्यादा लोग इकट्ठे हो गए। इससे भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। भगदड़ में 6 लोगों की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए।
जिस द्वार पर हादसा हुआ, उसे 10 जनवरी को खोला जाना था
एक दिन पहले मंगलवार को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने बताया था कि 10 से 19 जनवरी तक वैकुंठ एकादशी पर वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए खोले जाएंगे। सुबह 4.30 बजे से प्रोटोकॉल दर्शन से शुरू होगा, उसके बाद सुबह 8 बजे से सर्व दर्शन शुरू होगा है। इसके लिए लोग टोकन लेने के लिए लाइन में लगे थे। इन 10 दिनों में करीब 7 लाख भक्तों के आने की संभावना है।
PM मोदी ने ट्वीट कर हादसे पर जताया दुख
तिरुपति हादसे पर पीएम नरेन्द्र मोदी दुख जताया है। पीएमओ की तरफ से ट्वीट कर लिखा गया कि- आंध्र प्रदेश के तिरुपति में हुई भगदड़ से दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल लोग जल्द ही ठीक हो जाएं। आंध्र प्रदेश सरकार प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान कर रही है।
सीएम ने निधन पर जताया शोक, आज जाएंगे तिरुपति
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भगदड़ में श्रद्धालुओं की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। सीएम नायडू ने घटना में घायलों को दिए जा रहे उपचार के बारे में अधिकारियों से फोन पर बात की। उन्होंने उच्च अधिकारियों को घटनास्थल पर जाकर राहत कार्य करने के आदेश दिए हैं, ताकि घायलों को बेहतर उपचार मिल सके।
TTD चेयरमैन ने प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार
हादसे पर TTD के चेयरमैन बीआर नायडू ने कहा,’हम मानते हैं कि प्रशासन की चूक के कारण ऐसा हुआ है। डीएसपी ने एक क्षेत्र में गेट खोला और लोग भाग गए। 6 लोगों की मौत हो गई। इसमें से एक की पहचान हो गई है। अन्य की पहचान अभी नहीं हो पाई है। सीएम नायडू पीड़ित परिवारों से मुलाकात करेंगे।
वैकुंठ एकादशी पर वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए हर साल पहुंचते हैं लाखों लोग
बता दें कि हर साल वैकुंठ एकादशी पर तिरुपति वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। देश के हर इलाके से लोग इस विशेष समय में तिरुपति के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। इस बार वैकुंठ द्वार दर्शन 10 जनवरी से 19 जनवरी तक होने हैं। इसके लिए ही टोकन बांटे जाने की व्यवस्था की गई थी।
वैकुंठ द्वार दर्शन का महत्व
वैकुंठ एकादशी हिंदू पंचांग के धनुर मास (धनु सूर्य मास) में आती है। इसे तमिल परंपराओं में धनुरमास या मार्गज़ी मास कहा जाता है। यह शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते चरण) की एकादशी है, जो कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के घटते चरण) की एकादशी से अलग है। वैकुंठ एकादशी का निर्धारण सौर कैलेंडर के आधार पर होता है, जिसके कारण यह हिंदू चंद्र कैलेंडर के मार्गशीर्ष या पौष मास में पड़ सकती है। इस दिन व्रत का पालन करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से वैकुंठ धाम के द्वार खुलने का विश्वास है। यह दिन विशेष रूप से आध्यात्मिक महत्व रखता है और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।
तिरुपति सबसे प्रसिद्ध और अमीर मंदिर
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और अमीर तीर्थस्थलों में से एक है। ये आंध्र प्रदेश के सेशाचलम पर्वत पर बसा है। भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर का निर्माण राजा तोंडमन ने करवाया था। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 11वीं सदी में रामानुजाचार्य ने की थी।मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर जब पद्मावती से अपना विवाह रचा रहे थे तो उन्होंने धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया। भगवान पर अब भी वो कर्ज है और श्रद्धालु इसका ब्याज चुकाने में उनकी मदद करने के लिए दान देते हैं। तिरुमाला मंदिर को हर साल लगभग एक टन सोना दान में मिलता है।
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