सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। जब बात सरकारी स्कूल और शिक्षकों की आती है तो मन मे एक बार ख्याल जरूर आता है कि पढ़ाई कैसी होगी. लेकिन बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ में एक अतिथि शिक्षक ने ऐसा किया है जो अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक है. दरअसल, लगातार 22 दिनों तक रोज 13-13 घंटों तक बच्चों को पढ़ाया. नतीजा एक साथ 25 बच्चों का प्रयास आवासीय विद्यालय के लिए चयन हुआ है.

सरकारी व्यवस्था में सबसे बेहतर स्कूल प्रयास आवासीय विद्यालय को माना जाता है. पूरे प्रदेश में इनकी संख्या 8 है, लिहाजा गिने-चुने होनहार बच्चों का ही चयन इन विद्यालयों के लिए हो पाता है. ऐसे में जिले के शंकरगढ़ में हायर सेकेंडरी स्कूल में पदस्थ अतिथि शिक्षक सुदर्शन यादव ने बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देकर उन्हें प्रयास आवासीय विद्यालय तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया. परिणाम यह रहा कि उनके पढ़ाए 25 बच्चों का चयन आवासीय विद्यालय के लिए हुआ. यही नहीं बच्चों ने टॉप 12 से लेकर 69 रैंक तक हासिल किया है.

चयनित छात्र-छात्राओं ने बताया कि उन्होंने सिर्फ 22 दिनों पढ़ाई की है. इस दौरान रोज शिक्षक के घर में ही रहकर 13-13 घंटे की पढ़ाई की. बच्चों को पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षक सुदर्शन यादव ने बताया कि इस बार तैयारी के लिए काफी कम समय मिला था. सिर्फ 22 दिनों में ही बच्चों को पांच विषयों की पढ़ाई करनी थी, इसलिए उन्होंने सारे काम छोड़ कर सुबह 7 से रात को 8 बजे तक 13 घंटे पढ़ाना शुरू किया. इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश से चार अन्य शिक्षकों को भी बुलाया था.

सुदर्सन बताते हैं कि उन्हें बच्चों को पढ़ाने में सुकून मिलता है, इसलिए उन्होंने बच्चों से फीस भी नहीं ली. उनका मुख्य ध्येय था कि दिव्यांग, गरीब और असहाय बच्चे आगे बढ़े इसलिए उन्होंने इस दिशा में प्रयास किया, जिसमें सफलता मिली है. चयनित बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं है. वे कहते हैं कि वे शुरू से शहरों में बड़े स्कूल में पढ़ना चाहते थे, लेकिन माता-पिता के पास पैसे नहीं थे. लेकिन अब प्रयास में सफल होने से उनकी इच्छा पूरी हो जाएगी. बच्चों के परिजन भी इस उपलब्धि पर बेहद खुश हैं. कलेक्टर विजय दयाराम ने भी खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने शिक्षक के साथ बच्चों को बधाई दी. साथ ही उन्होंने ऐसे शिक्षक से प्रेरणा लेने की बात कही.

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