लोकेश साहू, धमतरी। बंदियों से मुलाकात के एवज में परिजनों से रिश्वत लेने और कर्मचारियों को प्रताड़ित करने जैसे मामलों को लेकर सुर्खियों में रहा धमतरी जिला जेल एक बार फिर नए विवाद में घिरता दिखाई दे रहा है. इस बार जेल प्रशासन पर बंदियों को उनके मेहनत की पूरी कमाई नही देने का मामला सामने आया है. सजा काटकर जेल से रिहा हुए एक युवक ने इस बात का खुलासा किया है. दरअसल मंगलवार को एक युवक जेल से रिहा हुआ था. लेकिन वह अपने घर जाने के बजाय जेल के सामने ही घंटो उदास बैठा रहा. मीडिया कर्मियों द्वारा पूछे जाने पर उसने बताया कि उसका नाम जागेश्वर ध्रुव है और नगरी के चुरियारापारा का रहने वाला है. करीब साल भर पहले चोरी के आरोप में उसे जेल भेज दिया गया.

जिला जेल धमतरी में वह 8 जून से सजा काट रहा था. जेल में रहने के दौरान उसने मेहनत मजदूरी भी किया. उसे बताया गया कि एक दिन की मजदूरी 60 रुपये है. जिसमें से 30 रुपये भोजन के लिए काटा जाता है. शेष 30 रुपये के हिसाब से उसे पूरा मजदूरी रिहाई के वक्त मिल जाएगा. सजा पूरी होने के बाद वह जेल से रिहा हुआ है. लेकिन रिहाई के दौरान उसे सिर्फ 200 रुपये दिया गया. जबकि काम के हिसाब से उसे मजदूरी के रूप में 5040 रुपये मिलना था. पूछने पर कहा गया कि उसका नाम जुड़ नहीं पाया है. जागेश्वर का कहना है कि 200 रुपये तो एक वक्त के भोजन में ही खत्म हो जाएगा. बाहर उसे बताया गया कि लाकडाउन में सवारी वाहन भी नहीं चल रहा है. पूरा पैसा मिलने पर वह ऑटो किराया करके भी नगरी जा सकता था. लेकिन पैसे के अभाव में वह पूरी तरह से मजबूर हो गया है. जागेश्वर ने जेल की अन्य खामियों के बारे में बताया कि जेल में भोजन भी ठीक नहीं मिलता. दाल और सब्जी पानी से भरा रहता है.

सर से छूट चुका है मां-बाप का साया

जागेश्वर के पिता भुखऊराम की तीन साल पहले मौत हो गई. कुछ समय बाद उसकी मां दुलारा भाई भी चल बसी. इसके साथ ही घर से भी उसका साथ छूट गया. पेट पालने के लिए वह कभी फर्नीचर दुकान कभी गन्ने की दुकान तो कभी और कहीं मेहनत मजदूरी कर रहा था. चोरी के आरोप में जब उसे पकड़ा गया तो उसे बिल्कुल भी अफसोस नहीं हुआ. क्योंकि उसे लगा कि बाहर इधर उधर भटकना और भोजन के लिए तरसना नहीं पड़ेगा. जेल में ही दिन काटने के लिए छत और पेट भरने के लिए भोजन नसीब हो जायेगा. वह जेल से रिहा तो हो गया है. लेकिन बाहर आने के बाद वह पूरी तरह से बेघर हो गया. उसे समझ नहीं आ रहा है कि वह जाए तो जाए कहां. अगर पूरा पैसा मिलता तो कुछ दिन के लिए वह अपने भोजन की व्यवस्था कर लेता.

राशि आहरण नहीं हो पाया है-जेलर

इस संबंध में धमतरी जिला जेल के जेलर श्री कुजूर का कहना है कि राशि का आहरण हो पाने के कारण मजदूरी भुगतान नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि जेल में बंदियों की संख्या काफी कम है. छोटी सजा वाले बंदियों की मजदूरी का बिल 3 से 4 महीने में एक बार भेजकर राशि का आहरण करते हैं. जागेश्वर दिसंबर माह से जेल में काम कर रहा था. छः महीने का जितना भी मजदूरी बनता है राशि प्राप्त होने के बाद उसे भुगतान कर दिया जाएगा.

मामले की जांच कराई जाएगी- कलेक्टर

जिले के कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कर कार्रवाई करने की बात कही है.