
रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में चल रहे संस्थागत प्रसव (Institutional Delivery) को बढ़ावा देने के अभियान ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. इस अभियान के तहत राज्य में मातृ मृत्यु दर (MMR) और शिशु मृत्यु दर (IMR) में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है. सरकार के ठोस प्रयासों और जनजागरूकता अभियानों के कारण अधिक से अधिक गर्भवती महिलाएं अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव करा रही हैं, जिससे नवजात शिशुओं और माताओं के जीवन को सुरक्षित बनाने में मदद मिली है.

संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम
छत्तीसगढ़ सरकार ने संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं और नीतियां लागू की हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- मुख्यमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (CMSMA)
इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को निःशुल्क स्वास्थ्य जांच, दवाइयां और पोषण संबंधी सहायता प्रदान की जाती है. स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं की विशेष जांच की जाती है, जिससे जटिलताओं का समय रहते पता लगाया जा सके.

- जननी सुरक्षा योजना (JSY) और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK)
भारत सरकार की जननी सुरक्षा योजना के तहत छत्तीसगढ़ में गरीब और ग्रामीण महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है. इसके अलावा, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत अस्पताल में प्रसव के दौरान महिलाओं और नवजात शिशुओं को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा, दवाइयां, भोजन और परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है.
- मातृ वंदना योजना और मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान
मातृ वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता दी जाती है ताकि वे उचित पोषण और स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त कर सकें. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत कुपोषण दूर करने के लिए गर्भवती और धात्री महिलाओं को पोषणयुक्त आहार प्रदान किया जाता है.
- स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और उन्नयन
राज्य सरकार ने ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) की संख्या में वृद्धि की है. साथ ही, अस्पतालों में प्रसव केंद्रों की गुणवत्ता सुधारने के लिए अत्याधुनिक उपकरण और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती की गई है.

- मोबाइल मेडिकल यूनिट और 102/108 एम्बुलेंस सेवा
दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को समय पर चिकित्सा सहायता देने के लिए सरकार ने मोबाइल मेडिकल यूनिट और 102/108 एम्बुलेंस सेवाओं को मजबूत किया है. इससे जरूरतमंद महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में मदद मिली है.
संस्थागत प्रसव के बढ़ते आंकड़े और प्रभाव
सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, 2020-21 में राज्य में संस्थागत प्रसव दर 70% थी, जो 2024-25 में बढ़कर 88% हो गई है. इसके कारण मातृ मृत्यु दर में 35% और शिशु मृत्यु दर में 40% तक की कमी आई है.

सरकार की पहल से मिल रहे सकारात्मक परिणाम:
मातृ मृत्यु दर (MMR): 2019 में 159 प्रति लाख जीवित जन्म थी, जो 2024 में घटकर 110 रह गई.
शिशु मृत्यु दर (IMR): 2020 में 41 प्रति 1,000 जीवित जन्म थी, जो 2025 में घटकर 25 हो गई.
संस्थागत प्रसव दर: 2020 में 70% थी, जो अब 88% से अधिक हो गई है.
माताओं की जुबानी – संस्थागत प्रसव का लाभ
सरकार के इस प्रयास का सबसे बड़ा लाभ राज्य की महिलाओं को मिला है. बस्तर जिले की रहने वाली संगीता देवी, जो पहले घरेलू प्रसव पर निर्भर थीं, अब संस्थागत प्रसव का महत्व समझती हैं. उन्होंने बताया, “पहले हमें अस्पताल जाने में डर लगता था, लेकिन आशा कार्यकर्ताओं ने हमें समझाया और अब हम सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल जाते हैं. यह हमारे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है.”
विशेषज्ञों की राय
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया है. आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम (ANM) नर्सों की सहायता से गर्भवती महिलाओं को समय पर चिकित्सा सहायता मिल रही है. इससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है.”
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का बयान
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, “हमारा लक्ष्य छत्तीसगढ़ को मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करना है. हमने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए व्यापक अभियान चलाया है. हमारी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हर गर्भवती महिला को सुरक्षित और समुचित चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हों.”
आशा कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका
इस अभियान की सफलता में आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और एम्बुलेंस सेवाओं की अहम भूमिका रही है. आशा कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लाभों के बारे में जागरूक कर रही हैं और उन्हें समय पर स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने में मदद कर रही हैं.
आगे की राह
हालांकि संस्थागत प्रसव की दर में वृद्धि हुई है, लेकिन अब भी कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं:
दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को और बेहतर बनाना.
स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशिक्षित स्टाफ और अत्याधुनिक उपकरणों की संख्या बढ़ाना.
समाज में पारंपरिक मान्यताओं को दूर कर अधिक से अधिक महिलाओं को अस्पतालों में प्रसव के लिए प्रेरित करना.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में संस्थागत प्रसव को लेकर चलाया जा रहा अभियान महिलाओं और शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने में सफल रहा है. राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं और जमीनी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों के कारण मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आई है. यदि यह प्रयास इसी तरह जारी रहे, तो छत्तीसगढ़ जल्द ही देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो सकता है, जहां हर महिला को सुरक्षित मातृत्व का अधिकार मिलेगा.
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