नई दिल्ली. उच्च न्यायालय ने कुछ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित निर्देशों को रद्द कर दिया. अदालत ने कहा, ऐसे अधिकारियों के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी तब तक नहीं की जानी चाहिए जब तक कि किसी मामले का फैसला करने के लिए आवश्यक न हो, या बचाव का अवसर दिए बिना.

न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा न्यायाधीशों को किसी व्यक्ति या अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से बचना चाहिए, जब तक कि जिस पक्ष का आचरण प्रश्न में है वह अदालत के सामने नहीं है या उसके पास खुद को समझाने या बचाव करने का अवसर नहीं है, चाहे उस आचरण पर असर डालने वाला कोई सबूत रिकॉर्ड पर हो टिप्पणियों को उचित ठहराते हुए और क्या मामले के निर्णय के लिए, उसके अभिन्न अंग के रूप में, उस आचरण पर टिप्पणी करना आवश्यक है.

याचिका उन पुलिस अधिकारियों द्वारा दायर की गई थी जिनके खिलाफ सत्र न्यायाधीश ने कुछ टिप्पणियां की थीं और निर्देश जारी किए थे. उक्त अधिकारी उस छापा मारने वाली टीम का हिस्सा थे. कथित तौर पर, आरोपी ने छापेमारी टीम पर गोलीबारी/फायरिंग का प्रयास किया था.