रायपुर..राज्य सरकार ने प्रदेश में अवर्षा और सूखे की स्थिति से निपटने के लिए कार्य योजना तैयार करने के निर्देश सभी जिला कलेक्टरों को दिए हैं। मुख्य सचिव विवेक ढांड ने आज मंत्रालय से कलेक्टरों को पत्र जारी कर कार्य योजना बनाने के संबंध में जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने पत्र में कहा है कि मानसून 2017 के दौरान प्रदेश की अनेक तहसीलों में अल्प वर्षा के कारण खरीफ फसलों की स्थिति प्रभावित होने की आशंका है। कम वर्षा का प्रभाव खरीफ फसलों के साथ-साथ सिंचाई जलाशयों में जल भराव, भू-जल संग्रहण तथा पशुचारे की उपलब्धता आदि पर भी प्रभाव पड़ने की आशंका है। इन स्थितियों को देखते हुए तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करने की जरूरत है। पत्र में कहा गया है कि वर्षा की स्थिति की प्रतिदिन समीक्षा की जाए। वर्षा 80 प्रतिशत से कम होने की स्थिति में सूखे की संभावना के आधार पर उससे निपटने के लिए आकस्मिक कार्य योजना तैयार कर लिया जाए।

ग्रामवार और तहसीलवार फसलों की वर्तमान स्थिति का नजरी आंकलन कराया जाए

फसल पैदावार का आंकलन फसल कटाई प्रयोग के आधार पर फसल कटाई के दौरान किया जाता है। सूखे की संभावित स्थिति को देखते हुए ग्रामवार तथा तहसीलवार खरीफ फसल की वर्तमान स्थिति का नजरी आंकलन कराया जाए। प्रदेश के सिंचाई जलाशयों में जल भराव की स्थिति की समीक्षा जिला जल उपयोगिता समिति के माध्यम से की जाए तथा सिंचाई के लिए किसानों को पानी देने के बारे में निर्णय लिया जाए। अल्पवर्षा प्रभावित क्षेत्रों में नदी-नालों में उपलब्ध पानी को मोटर पम्प या डीजल पम्प के माध्यम से सिंचाई के लिए उपयोग करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए। इसके साथ ही कृषि विभाग की योजनाओं के माध्यम से डीजल पम्प, विद्युत पम्प और ट्यूबवेल उपलब्ध कराने के लिए भी कार्रवाई की जाए।


वैकल्पिक फसल के लिए योजना बनाकर खाद-बीजों की व्यवस्था की जाए

पत्र में निर्देशित किया गया है कि सूखे की आशंका को देखते हुए वैकल्पिक फसल के लिए योजना बनाई जाए तथा खाद और बीज की व्यवस्था की जाए। सिंचाई साधनों के उपयोग के लिए निरंतर विद्युत प्रवाह की आवश्यकता होगी। विद्युत मंडल के अधिकारियों के माध्यम से विद्युत की उपलब्धता के नियमित रूप से समीक्षा की जाए तथा ट्रांसफार्मर्स का पर्याप्त स्टाक जिलों में रखा जाए। पम्पों के ऊर्जीकरण के लंबित आवेदनों का निराकरण कर स्थायी या अस्थायी कनेक्शन देने की तत्काल व्यवस्था की जाए। जिलों में नदी और नालों में बहने वाले पानी को अस्थायी तटबंध बनाकर रोका जाए, ताकि निस्तारी के उपयोग में लाया जा सके। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा)के अंतर्गत स्वीकृत रोजगारमूलक कार्यों के साथ-साथ बारहमासी नदियों और नालों में जल संरक्षण के लिए कच्चे बांधों (बोरी बंधान) का कार्य उचित स्थानों पर किया जाए।


मजदूरों का पलायन रोकने अधिक से अधिक
रोजगारमूलक कार्य शुरू करने योजना बनाई जाए

सूखे की संभावना का देखते हुए पशुचारे की उपलब्धता की समीक्षा की जाए तथा पशुधन विकास विभाग और वन विभाग के बीच समन्वय रखा जाए, ताकि आवश्यकता होने पर बाद में पशुचारे की व्यवस्था की जा सके। अल्प वर्षा के कारण सूखे की स्थिति निर्मित होती है तो खेतिहर मजदूरों को रोजगार की आवश्यकता होगी। रोजगार के अभाव में जरूरतमंद मजदूरों को जिले या प्रदेश से बाहर रोजगार की तलाश में न जाना पड़े, इसलिए मनरेगा के अंतर्गत कम वर्षा वाले क्षेत्रों में अधिक से अधिक रोजगारमूलक कार्य संचालित किए जाएं, ताकि जरूरतमंद लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।