दुर्ग। चोरी हुए वाहन की दूसरी चाबी जमा नहीं किए जाने के कारण बीमा कंपनी ने बीमा दावा भुगतान नहीं किया. इसे सेवा में निम्नता ठहराते हुए दुर्ग जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने मैग्मा एचडीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी पर 3 लाख 85 हजार रुपये हर्जाना लगाया.
ग्राहक की शिकायत
सेक्टर 2 भिलाई निवासी और जय अंबे कंस्ट्रक्शंस के प्रोपराइटर प्रदीप पात्रो की महिंद्रा बोलेरो पिकअप वाहन 13 जून 2015 को रायगढ़ (महाराष्ट्र) से चोरी हो गई थी. तत्काल पुलिस एफआईआर दर्ज कराने के बाद बीमा कंपनी को सूचना दी गई और क्लेम किया गया. बीमा कंपनी द्वारा मांगे गए दस्तावेज भी जमा किए गए, लेकिन दावा राशि का भुगतान नहीं किया गया.
अनावेदक बीमा कंपनी का जवाब
अनावेदक बीमा कंपनी ने प्रकरण में यह बचाव लिया कि परिवादी की चोरी हुए वाहन की केवल एक ही चाबी बीमा कंपनी को प्रदान की गई है. इसलिए परिवादी के वाहन चालक द्वारा बोलेरो वाहन को चाबी लगी हुई हालत में लापरवाही पूर्वक छोड़ दिया गया था, जो वाहन के चोरी होने में सहायक हुआ. वाहन की सुरक्षा में लापरवाही बरतना बीमा पॉलिसी की शर्त का उल्लंघन है. परिवादी द्वारा वाहन की दोनों चाबी जमा नहीं कराई गई. इसीलिए उसका बीमा दावा फाइल बंद कर दी गई.
आयोग का फैसला
प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों एवं प्रमाणों के आधार पर जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने उपभोक्ता के प्रति बीमा कंपनी द्वारा सेवा में निम्नता का कृत्य किया जाना प्रमाणित पाया. उपभोक्ता आयोग ने विचारण के दौरान यह अभिनिर्धारित किया कि केवल दूसरी चाबी जमा नहीं किए जाने के आधार पर यह उपधारणा निकालना गलत है कि परिवादी की लापरवाही से उसका वाहन चोरी हुआ है. मात्र एक चाबी प्रस्तुत नहीं किया जाना संपूर्ण बीमा दावे को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता. परिवादी का बीमा दावा नॉन स्टैंडर्ड बेसिस (अमानक आधार) पर स्वीकार किया जाना चाहिए था. उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रतिपादित विभिन्न सिद्धांतों के आधार पर परिवादी 75% बीमा दावा राशि प्राप्त करने का अधिकारी है. अमानक आधार पर वाहन की बीमा राशि का भुगतान नहीं किया जाना सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक कदाचरण का परिचायक है.
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने संयुक्त रूप से फैसला सुनाते हुए मैग्मा एचडीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी पर 3 लाख 85 हजार रुपये रुपये हर्जाना लगाया. जिसके तहत वाहन के बीमित मूल्य का 75% दावा राशि 364500 रुपये, मानसिक पीड़ा की क्षतिपूर्ति स्वरूप 20000 रुपये और वाद व्यय के रुप में 1000 रुपये देना होगा एवं दावा राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी देना होगा.