लक्ष्मीकांत बंसोड, बालोद। छत्तीसगढ़ में फिर अन्नदाताओं को बीमा कंपनियां चूना लगा रही हैं. कृषि पर आश्रितों को लूट रहे हैं. खेतो में लगाए गए फसलों की बीमा कराने के बाद भी किसानों को फसल बीमा के नाम पर 75 पैसे से लेकर 1 और 2 रुपये प्रति किसान दिया गया है. ऐसे में अब वे खुद के साथ छलावा और धोखाधड़ी का आरोप लगा रहे हैं. करीब 225 किसान ठगे गए हैं.

दरअसल, कुसुमटोला गांव के सैकड़ों किसानों ने असिंचित एरिया में खेती कर धान की फसल लगाते हैं. उन्हें डर रहता है कि पानी नहीं गिरने पर उनकी फसलों को नुकसान होगा. लिहाजा ग्रामीण सोसायटी के माध्यम से फसल बीमा करवाते हैं, जिसके चलते उन्होने बीते वर्ष भी अपना फसल बीमा करवाया अल्प वर्षा के चलते उनकी फसलें आधे से ज्यादा बर्बाद हो गई.

जब फसल बीमा की राशि उनके खतों में आई तो वो भी हैरान रह गए, क्योंकि उनको महज 75 पैसे तो किसी को 1 रुपये तो किसी को 2 तो किसी को 3 रुपये फसल बीमा की मुवावजा राशि हाथ लगी.

किसानों ने बताया कि फ़सलों की बिना करने के एवज में उनसे हजारों रुपये बीते वर्ष काटे गए हैं. मुआवेज के नाम पर बीमा कंपनी ने हमें छल दिया. हजारों रुपए काट कर महज 1 से 2 रुपये हमे थमा दिया गया, जबकि हमारी आधे से ज्यादा फसलें नुकसान हुई हैं. हमें ऐसे ही बीमा की राशि मिलती रही तो आने वाले समय में हम बीमा भी नहीं करा सकेंगे. कर्ज लेजर बीमा कराने को मजबूर होंगे.

वहीं अब पूरे मामले में जनप्रतिनिधियों ने बताया कि बीमा कंपनी ने उन्हें कम पैसे दिए हैं. उच्च अधिकारियों से चर्चा कर किसानों के हित में कार्य किया जाएगा. वहीं एस डी एम मनोज मरकाम ने कहा कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है. किसानों को बीमा कंपनियों ने किस हिसाब से पैसा दिया है, जिसकी जांच कराई जाएगी. किसानों को आगे दिक्कत न हो इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा.

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