
रायपुर. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के बैनर तले दस लाख बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण, बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने की मांग पर 16-17 दिसंबर 2021 की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का पूर्ण समर्थन करते हुए ऑल इंडिया इंश्योरेंस एम्प्लाईज एसोसियेशन के आव्हान बीमा कर्मियों ने भी देश भर में जीवन व आम बीमा कार्यालय में प्रदर्शन किया.
एआईआईईए के सहसचिव व सी जेड आईईए के महासचिव धर्मराज महापात्र ने यह जानकारी देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के रायपुर, भोपाल, सतना, शहडोल, ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर, बिलासपुर मंडल मुख्यालय सहित दोनों प्रदेश के 140 से अधिक स्थानों पर बीमा कर्मियों ने बैंक कर्मियों के समर्थन में प्रदर्शन आयोजित किए. रायपुर में पंडरी में प्रदर्शन के बाद हुई सभा को धर्मराज महापात्र, सुरेंद्र शर्मा, अलेकजेंडर तिर्की ने संबोधित किया. नेताओं ने कहा कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय हितों को पूरी तरह धता-बताकर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों के निजीकरण की जो शुरुआत की है वह देश विरोधी कदम है. वक्ताओं ने कहा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा हैं और केंद्र सरकार इसे ही बर्बाद करना चाहती है. बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक सरकार के इसी मंशा का हिस्सा है. वक्ताओं ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों का निजीकरण न केवल राष्ट्र के विकास के खिलाफ होगा, बल्कि यह जनता की बेशकीमती और मेहनत से अर्जित कमाई को निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र को सौंपना होगा.
वक्ताओ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण कर इन बैंकों को ठीक उन्हीं कॉर्पोरेट हितों को सौंपने की योजनाएँ चल रही हैं. जो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एनपीए के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. बैंक कर्मचारी, अधिकारियों के आंदोलन एकदम को जायज बताते हुए उन्होंने उचित रूप से बैंकों के पर्याप्त पूंजीकरण करने, जानबूझकर पैसा न चुकाने वालों से डूबे कर्ज की वसूली के लिए कड़े कानून बनाने और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की विनाशकारी नीति पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.