रायपुर. भारतीय जीवन बीमा निगम के 66वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक सितंबर को पूरे मध्य क्षेत्र में बीमा कर्मियों ने एलआईसी की हिफाजत का संकल्प लिया और केंद्र सरकार के निजीकरण की नीतियों के विरुद्ध मानव श्रृंखला बनाई. रायपुर मंडल के अंतर्गत एलआईसी की सभी शाखा कार्यालयों के समक्ष शाम को मानव श्रृंखला बनाई गई और सभा के बाद जनता से एलआईसी के विनिवेशीकरण का विरोध करने का अनुरोध किया.

एलआईसी के पंडरी स्थित मंडल कार्यालय के समक्ष जीवन बीमा मार्ग पर भी मंडल कार्यालय, पी एंड जी एस, रायपुर 2 एवं सीएबी रायपुर इकाइयों ने संयुक्त रूप से मानव श्रृंखला निर्मित की. इस अवसर पर हुई सभा को संबोधित करते हुए रायपुर डिवीजन इंश्योरेंस एम्पलाइज यूनियन के महासचिव सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार भारत के सर्वाधिक लाभप्रद बीमा उद्योग को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कर इसके निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है.इससे देश के 38 करोड़ पालिसीधारकों की जमा पूंजी सार्वजनिक क्षेत्र से हटकर निजी खिलाडियों की ओर हस्तांतरित किए जाने का खतरा बढ़ा है. देशभर के बीमा कर्मचारी मेहनतकश जनता के साथ मिलकर एलआईसी की हिफाजत का संघर्ष तेज कर रहे है.

सेंट्रल जोन इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन के महासचिव धर्मराज महापात्र ने कहा कि एलआईसी है तो कही और जाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने आश्वस्त किया कि एलआईसी में उपस्थित मजबूत कर्मचारी आंदोलन पालिसी धारकों के हितों की रक्षा करेगा इसलिए पालिसी धारकों को बीमा कर्मी आंदोलन के साथ जुड़कर इसकी हिफाजत का संघर्ष आगे बढ़ाना चाहिए. एलआईसी के मात्र साढ़े तीन प्रतिशत शेयर ही सूचीबद्ध हुए हैं और बहुमत शेयर आज भी सरकार के पास है. अतरूशेयर बाजार में एलआईसी के शेयरों के कमजोर प्रदर्शन से बीमा धारकों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है.

महापात्र ने कहा, एलआईसी आज भारत ही नहीं वरन पूरे विश्व की सर्वश्रेष्ठ बीमा प्रदाता में से एक है और पूरे विश्व में सार्वजनिक क्षेत्र की एकमात्र संस्था है, जो विश्व में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है. एलआईसी के 38 करोड़ ग्राहक हैं, जो दुनिया के अनेक देशों की जनसंख्या से भी अधिक है. एलआईसी की कुल परिसंपत्ति 42 लाख करोड़ से अधिक है और उसकी जीवन निधि 38 लाख करोड़ है. इस सशक्त वित्तीय संस्थाना को देशी विदेशी निजी हाथों में बेचने का प्रयास गलत है.

महापात्र ने कहा, मोदी सरकार देश के सार्वजनिक व सरकारी उद्योगों को कौड़ियों के भाव अंधाधुंध नीलाम कर रही है. इससे देश की आत्मनिर्भरता को ही खतरा पैदा हो गया है. आगामी दिनों में यह आंदोलन और तेज होगा. अंत में यूनियन के अध्यक्ष काम अलेक्जेंडर तिर्की ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया. सभा में विश्व मेहनतकशों द्वारा युद्ध के खिलाफ शांति के पक्ष में की जा रही आवाज बुलंद का समर्थन भी किया गया और दुनिया में शांति की अपील की गई.