किसी फूल का ख्याल आते ही उसकी महक से मन भर जाता है. लेकिन उसकी महक से यदि धन भी मिलने लगे तो जिंदगी ही महकने लग जाती है. ऐसा ही काम छत्तीसगढ़ में भी हो रहा है. प्रदेश में धान और अन्य खेती के साथ फूलों की खेती की तरफ लोगों का रूझान बढ़ा है. जिसका श्रेय प्रदेश की भूपेश सरकार को जाता है. जिसकी योजनाओं ने किसानों को परंपरागत खेती से हटकर अन्य उत्पाद की ओर भी ध्यान दिलाया है.
महासमुंद के ग्राम मालीडीह एक छोटा सा गांव है. जहां के किसान अरूण चंद्रकार वैसे तो एक परम्परागत किसान हैं, लेकिन कुछ साल पहले प्रायोगिक तौर पर कुछ अलग करने की सोची और फूलों की खेती की तरफ हाथ अजमाया. उद्यान विभाग के अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर गुलाब की खेती शुरू की. शुरुआत में 400×400 वर्ग मीटर क्षेत्र में गुलाब के पौधे लगाए. इसके लिए उद्यानिकी विभाग से पॉली हाऊस योजना का लाभ भी लिया. उनके पुत्र अमर चंद्राकर ने भी पिताजी के कार्य को आगे बढ़ाते हुए आवश्यक मार्गदर्शन और प्रशिक्षण लेकर इस खेती को व्यावसायिक रूप देकर आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
अमर ने उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत पैक हाऊस निर्माण का लाभ भी लिया. साथ ही समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन लेते रहे. फूलों में आमदनी को देखते हुए युवा किसान अमर चंद्राकर ने एक-एक एकड़ क्षेत्र के दो स्थानों पर झरबेरा फूल की खेती 2020-21 में शुरू किया. आज झरबेरा की खेती से वे हर महीने लगभग एक लाख रुपये की बचत कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि लगभग 6 एकड़ क्षेत्र में फूलों की खेती की योजना है. आज 35 मजदूर उनके पॉली हाऊस में काम कर रहें हैं. जो प्रतिदिन कटाई-छटाई और दवाई देने का काम करते हैं.
उन्होंने बताया कि उनके फूल प्रति नग कम से कम ढाई रुपये से लेकर 17 रुपये तक की दर से रायपुर, मुम्बई, नागपुर, कोलकाता, बेंगलुरु आदि महानगरों में विक्रय किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी एक क्षेत्र में सेवंती फूल लगाया गया है, जिसका नवम्बर महीने से उत्पादन शुरू हो जाएगा. अमर चंद्राकर वैसे तो बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग है, लेकिन नौकरी का मोह त्याग कर मुनाफे की इस खेती को ही नौकरी मानकर कार्य कर रहे है. साथ में सामाजिक कार्यां में भी हाथ बटा रहे हैं. उन्होंने कहा कि गांव में रहकर ही गांव की सेवा कर एवं फूलों की खेती से मैं संतुष्ट हूं. उन्होंने राज्य शासन को इस अवसर के लिए धन्यवाद भी दिया है.
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