आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। माओवादियों द्वारा हाल ही में जारी किए गए पत्र ने बस्तर के साथ देशभर में हलचल मचा दी है. पुलिस ने पत्र की जांच शुरू कर दी है, जिसमें पत्र का स्रोत (आईपी एड्रेस) स्विट्जरलैंड का मिला है. इस खुलासे के साथ ही अब अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की भी पड़ताल की जा रही है.
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नक्सलियों के केंद्रीय प्रवक्ता अभय ने पत्र में स्पष्ट किया है कि संगठन शांति वार्ता के लिए तैयार है, और हथियार छोड़ना चाहता है. हालांकि, इसके लिए उन्होंने एक महीने का समय मांगा है, ताकि बिखरे हुए कैडरों को एकत्रित कर सभी की सहमति ली जा सके. इसी बीच पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू उर्फ वेणुगोपाल का भी एक पत्र सामने आया है, इसमें उन्होंने जनता से माफी मांगते हुए स्वीकार किया कि नक्सली संगठन अपने मूल उद्देश्यों को पूरा करने में नाकाम रहा है, जिसकी वजह से अब शांति वार्ता की ओर बढ़ना पड़ रहा है.

आत्मसमर्पित नक्सली बदरन्ना ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि अगर संगठन सचमुच हथियार छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ता है, तो यह लोकतांत्रिक भारत के लिए बड़ी उपलब्धि होगी. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि कई नक्सलियों के परिवार अब भी असमंजस और नाराजगी में हैं, क्योंकि उनके अपने संघर्ष के दौरान मारे गए हैं. वहीं आईपी एड्रेस बदलने की बात बदरन्ना ने कहा कि सुरक्षा कारणों से नक्सली अक्सर अपनी लोकेशन बदलते रहते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता का मानना है कि नक्सली संगठन ने पहली बार इतने खुले तौर पर आत्मसमर्पण और शांति वार्ता की इच्छा जाहिर की है. उनका कहना है कि लगातार दो पत्र और एक ऑडियो बयान जारी होने के बाद यह साफ हो गया है कि संगठन अपनी जमीन खो चुका है और जनता से माफी मांगते हुए पीछे हट रहा है.
विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि बीते कुछ महीनों में सुरक्षा बलों की रणनीति कारगर साबित हुई है. लगभग 400 नक्सली ढेर किए गए, जिनमें कई बड़े कमांडर भी शामिल रहे. इससे संगठन की रीढ़ टूट चुकी है. केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा मार्च वर्ष 2026 तक देश को नक्सलवाद मुक्त करने का लक्ष्य तय किया गया था. लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए चर्चा तेज हैं कि सरकार इस लक्ष्य को तय समय सीमा से पहले ही हासिल कर सकती है.


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