हेमंत शर्मा, इंदौर। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर, इंदौर में आयोजित न्यायाधीशों, विधिवेत्ताओं और वैश्विक विशेषज्ञों की दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी रविवार को हुई। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय एवं देशभर के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, कानूनी विशेषज्ञों और विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया। संगोष्ठी के अंतिम दिन कानून, प्रौद्योगिकी और वैश्विक सहयोग के पारस्परिक संबंधों पर विस्तृत चर्चा हुई। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार महेश्वरी ने कहा कि भारत में मध्यस्थता संबंधी न्यायशास्त्र में निरंतर प्रगति हो रही है, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप सामंजस्यपूर्ण बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि “इस तरह के विचार-विमर्श न्याय प्रणाली को आधुनिक दिशा देते हैं।

संतुलित मध्यस्थता व्यवस्था पर विचार साझा किए

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने कहा कि न्याय प्रणाली को लचीला, समावेशी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाएगा। उन्होंने कहा, “कानून को डिजिटल दुनिया की जरूरतों के अनुरूप विकसित होना चाहिए। प्रौद्योगिकी सिर्फ एक साधन नहीं, बल्कि न्याय और मध्यस्थता को रूपांतरित करने वाली शक्ति है।” संगोष्ठी के तकनीकी सत्र-4 में “विवाद समाधान कानून: भारत और यूरोपीय संघ के दृष्टिकोण” पर चर्चा हुई, जिसमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और डैनिश पेटेंट एवं ट्रेडमार्क कार्यालय के वरिष्ठ सलाहकार मैटियास कार्लसन डिनेट्ज़ ने संतुलित मध्यस्थता व्यवस्था पर अपने विचार साझा किए।

वैश्विक नवाचार तंत्र पर विचार रखे

तकनीकी सत्र-5 “ऑनलाइन अवैध गतिविधियों का आपराधिक प्रवर्तन” विषय पर रहा, जिसकी अध्यक्षता बुल्गारिया के न्यायाधीश पेत्र पेत्रोव ने की। वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लुथरा और प्रिसॉल्व360 की संस्थापक नमिता शाह ने सीमा-पार साइबर अपराध और डिजिटल साक्ष्यों की चुनौतियों पर चर्चा की। दोपहर बाद “बौद्धिक संपदा और नवाचार” विषय पर आयोजित सत्र में मुख्य न्यायाधीश संजय सचदेवा, डैनिश पेटेंट एवं ट्रेडमार्क कार्यालय की उप महानिदेशक मारिया स्कू, और रॉयल डेनिश एम्बेसी के आईपी काउंसलर डॉ. लुइस बोइज़ेन ने भारत-ईयू सहयोग और वैश्विक नवाचार तंत्र पर विचार रखे।

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक संवाद निरंतर जारी

कार्यक्रम के दौरान मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा न्यायिक डिजिटलीकरण की दिशा में कई नई पहलें शुरू की गईं- जिनमें ऑनलाइन इंटर्नशिप फॉर्म सबमिशन, केस डायरी ऑनलाइन संचार प्रणाली, और “समाधान आपके द्वार” जैसे डिजिटल नवाचार शामिल हैं। साथ ही, MACT पोर्टल के माध्यम से दावों के ऑनलाइन प्रबंधन और समय पर मुआवजा वितरण की नई व्यवस्था भी शुरू की गई। इस अवसर पर यह संकल्प भी लिया गया कि कानून, नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक संवाद निरंतर जारी रहेगा।

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