शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश के लिए आज बड़ा दिन है, क्योंकि एमपी को टाइगर स्टेट का खिताब हासिल है तो दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस भी है। मध्यप्रदेश की धरती पर 875 बाघों की सर्वाधिक संख्या है। लेकिन इसके साथ ही प्रदेश के माथे पर सर्वाधिक बाघों की मौत का कलंक भी है। यह कलंक बाघों की असामान्य मौत का है। आंकड़े बताते हैं कि इस साल के सात माह में अब तक 25 बाघों की मौत हुई। हाल ही में एक बाघ औबेदुल्लागंज वन क्षेत्र में शिकार हुआ। पन्ना टाइगर रिजर्व में चार बाघ काल का ग्रास बने, बांधवगढ़ में 13 तो बाघों के लिए बेहद मुफीद कान्हा में 08 बाघों की मौत हुई। बीते साल 41 बाघों की मौत हुई थी।
टाइगर एक्सपर्ट ने कही ये बात
मध्यप्रदेश के बाघों के संरक्षण के लिए लंबे समय से काम कर रहे टाइगर एक्सपर्ट अजय दुबे बताते हैं कि प्रदेश के बाघ सुरक्षित नहीं है। लगातार शिकार के मामले सामने आते जा रहे हैं। ऐसे भी कई मामले हैं जो सरकार के तमाम दावों की पोल खोल अंतरराष्ट्रीय तस्कर शिकारियों से जुड़े हुए हैं। बाघों के शिकार के मामलों में मध्य प्रदेश पिछले 14 वर्ष से देश में पहले स्थान पर है। केंद्र ने साल 2008 में स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का निर्देश मध्यप्रदेश सरकार को दिया। हालात ऐसी कि हथियारों और स्पेशल ट्रेनिंग के इस बल को एमपी के जंगलों से अब दूर रखा गया।
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बाघों के संरक्षण के लिए अनुभवी अमले की कमी
ओंकारेश्वर नेशनल पार्क और रातापानी अभ्यारण्य से लेकर वनों के विस्तार को बढ़ाने का निर्णय अटका हुआ है। मानव बाघ संघर्ष को रोकने के लिए भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। राजधानी में 18 से 22 बाघों के मूवमेंट को लेकर निर्माण, आवाजाही और आबादी विस्तार से संबंधित कदम को उठाने में जिम्मेदार नाकाम साबित हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए अनुभवी अमले की भी भारी कमी है। साथ ही अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल के बाद भी निगरानी में लापरवाही की जा रही है।
कांग्रेस ने लगाए ये आरोप
इस मामले को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाए है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अभिनव बरौलिया ने कहा कि बाघों के नाम पर केंद्र समेत राज्य सरकार के बजट का सिर्फ धांधली में उपयोग किया जा रहा है। सियासी हस्ताक्षेप के कारण प्रदेश के अभयारण्य और टाइगर रिजर्व का विस्तार नहीं हो पा रहा है न ही शिकारियों पर लगाम। कांग्रेस का दावा है कि बाघों के सर्वाधिक संख्या को लेकर सरकार वाहवाही मंचों से लूटती है। लेकिन, मौत और शिकार के मामले में सरकारी चुप्पी क्यों ?
बीजेपी ने किया पलटवार
इधर, बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार किया है। बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार के कारण ही बाघों का संरक्षण हुए। जंगलों से माफिया का सफाया करने काम भी बीजेपी सरकार में हो रहा है। यही कारण है कि बाघों की सर्वाधिक संख्या मध्यप्रदेश में है। बीजेपी ने यह भी दावा किया कि यदि बाघों की संख्या अधिक होगी तो मौत का आंकड़ा बढ़ाना भी स्वाभाविक है। शिकारियों को लेकर सरकार लगातार सतर्क है। टाइगर डे के अवसर पर राजधानी के कुशाभाऊ कन्वेंशन सेंटर पर हुए राज्य स्तरीय कार्यक्रम में राज्य मंत्री वन दिलीप अहिरवार ने अपने संबोधन में बाघ संरक्षण को लेकर बात कही। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की एक पहचान बाघ हैं जिनके संरक्षण को लेकर सरकार हर स्तर पर कार्य करने के लिए वचनबद्ध है।
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