रायपुर। सिकल सेल संस्थान छत्तीसगढ़ और इंडियन एकेडेमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के संयुक्त तत्वावधान में 25 सितम्बर 2020 को सिकल सेल रोग पर ऑन लाईन अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार का सफल ज्ञानवर्धक आयोजन किया गया। संस्थान के महानिदेशक डॉ. अरविन्द नेरल ने वेबिनार का संचालन करते हुये अपने स्वागत उद्बोधन में संस्थान की संक्षिप्त जानकारी दी और एमस्टरडम (नीदरलैंड) के अंतर्राष्ट्रीय वक्ता डॉ. इरफान नूर का परिचय दिया। सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे पद्मश्री डॉ. ए.टी. दाबके ने सिकल सेल रोगियों के उपचार में संतुलित आहार की महत्ता प्रतिपादित की और कोरोना के वैश्विक महामारी में सिकल सेल रोगियों को अधिक सतर्कता बरतने की हिदायत की। उन्होंने बताया कि सिकल सेल वाहक ( HbAS ) वाले व्यक्तियों को प्रचंड गर्मी के दिनों में डिहाइड्रेशन की वजह से तकलीफें हो सकती है। मुख्य वक्ता डॉ. इरफान नूर ने अपने दो विषयों के प्रस्तुतीकरण में इस बात पर बल दिया कि सिकल सेल रोगियों में रक्त वाहिनियों में रूकावट जैसी महत्वपूर्ण कॉम्प्लीकेशन के अलावा अनेक दूसरे अंगों से संबंधित विकार भी हो सकते हैं। उन्होंने व्ही.ओ.सी. और ए.सी.एस. जैसी संभावित पेचीदगियों से बचाव के किये ब्लड ट्रांस्फ्यूजन दिये जाने की सलाह दी। छत्तीसगढ़ एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के प्रदेश अध्यक्ष कोरबा के डॉ. हरीश नायक ने सिकल रोगियों में होने वाले क्रॉनिक ऑर्गन डैमेज और इन बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में होने वाले रूकावटों और धीमेपन पर अपने विचार रखें।

इस वेबिनार के उत्तरार्ध में सिकल सेल रोग के विभिन्न आयामों पर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया, जिसका बहुत प्रभावी, समयबद्ध और ज्ञानवर्धक संचालन अंचल के सुप्रसिद्ध शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. अनुप वर्मा ने किया। एक घंटे के इस पैनल डिस्कशन में अन्य प्रतिभागी थे – शहर के शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. के.पी. सरभाई, डॉ. विजय पी. माखीजा, बिलासपुर से डॉ. प्रदीप सिहारे, कोरबा से डॉ. हरीश नायक, हिमेटोलॉजिस्ट द्वय डॉ. विकास गोयल और डॉ. दिबेन्दु डे। इन विशेषज्ञों ने सिकल सेल रोग के न सिर्फ निदान और उपचार पर अपने विचार रखे बल्कि टीकाकरण, ब्लड टांस्फ्यूजन, सेरिबल इन्फार्क्ट, स्ट्रोक्स, ट्रांस क्रेनियल डॉप्लर, पुनर्वास, रोकथाम और परामर्श जैसे विषयों के भी तकनीकी और वैज्ञानिक पहलूओं पर सारगर्भित चर्चा की। इस अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के तकनीकि संयोजन और प्रायोजन में नोवार्टीस हेल्थकेयर के प्रशांत रॉय और सचिन शाहने का महत्वपूर्ण योगदान रहा। अंत में कार्यक्रम का समापन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अरविन्द नेरल ने किया।