संदीप शर्मा, विदिशा। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के जज्बे की अनकही कहानियां आपको लल्लूराम डॉट काम में बताने जा रहे हैं. पोलियो से विकलांग हो चुके पति की मौत के बाद पत्नी ने वाहनों का पंचर जोड़कर परिवार का पालन किया. मजबूरी ऐसी थी, की खाने के लिए भी लाले पड़ रहे थे. ये कहानी है मध्यप्रदेश के विदिशा की रहने वाली सरयू बाई की है. सरयू के पति पोलियो की बीमारी के कारण विकलांग थे और वह चल नहीं सकते थे. पोलियो के जकड़ लेने के कारण लगभग एक साल पहले उनके पति की मौत हो गई. लेकिन सरयू बाई ने अपने जीवन में हार नहीं मानी और पंचर जोड़कर अपने बच्चों को पाला.

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आज पूरी दुनिया में महिलाओं ने अपनी सफलता का परचम लहराया है. हर बाधा को पार करते हुए वो सपने को साकार करने में जुटी हुई है. महिला दिवस के मौके पर आज हम ऐसी सशक्त महिला से मिलेंगे, जिन्होंने अपने दृढ़ निश्चय के साथ अपने पति की कमी अपने बच्चों को कभी महसूस नहीं होने दिया. सरयू बाई के पति एक साल पहले काल के गाल में समा गए, लेकिन वो अपने पीछे पत्नी के साथ बेटे और बेटी को बेसहारा छोड़ गए. पति के जाने के बाद सरयू के सामने आजीविका चलाने की सबसे बड़ी समस्या खड़ी हो चुकी थी.

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सरयू बाई कहती है कि विकलांगता ने मेरे पति को तो मुझसे छीन लिया, लेकिन मैं हार जाऊंगी तो मेरे बच्चों को क्या होगा. मैंने अपने आंसुओं को अपनी ताकत बना लिया है. सबसे पहले पंचर जोड़कर 10-10 रुपये मिले. उससे आटा लेकर बच्चों का पेट भरा, फिर थोड़ी हिम्मत बढ़ी और पंचर की दुकान को ही अपनी आजीविका का साधन मानकर बच्चों के साथ मेहनत करने लगी. इस काम को ही आजिविका का साधन बना लिया. ताकि अब बच्चों को एक बेहतर भविष्य दे पाऊं.

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