सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का राज्यपाल अनुसुईया उइके ने उद्घाटन किया. धान के नवीन किस्मों के शीघ्र विकास को लेकर आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में आठ देशों के वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं.
राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि जो धान के बीज होते हैं, उसको बनाने में लगभग 15 साल लग जाता है. इसकी कम समय में, कम पैसे में और ज़्यादा पैदावार कैसे ली जा सकती है, इस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया है, जहां तमाम देश से आए कृषि वैज्ञानिक इस पर मंथन करेंगे.
इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय के कुलपति डॉ (कर्नल) संजय कुमार पाटिल ने बताया कि कार्यशाला के दो प्रमुख उद्देश्य है. पहला तेजी से धान के किस्मों को निकालना. हमें बीज निकालने में 8 से 10 साल और इसको किसानों तक पहुँचाने में पांच साल लग जाता है. इस तरह लगभग 15 साल का समय लगता है. इस समय को लगभग पांच साल में करने पर चर्चा होगी.
उन्होंने कहा कि दूसरा उद्देश्य है कि अभी तक ऐसे कोई भी धान नहीं बना है, जिसकी एक एकड़ में 35-40 क्विंटल पैदावार हो. ऐसे क़िस्म के धान जो ज़्यादा से ज़्यादा पैदावार दे, इसको बनाने के लिए मंथन होगा. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान के माध्यम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसे बिल गेट्स फ़ाउंडेशन संचालित करता है. लगभग 10 देशों में यह प्रोग्राम चलाया जाता है.
इस कार्यशाला में फिलीपींस, अमेरिका, बांग्लादेश और अफ्रीका के युगांडा, केन्या सहित पांच देशों के अलावा अन्य देशों के वैज्ञानिक शामिल हुए हैं.