शब्बीर अहमद, भोपाल। भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक के बाद एक कई विवादित बयान देकर सूबे की सियासत गरमा दिया है। साध्वी ने अब की बार मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह पर निशाना साधा है। दशहरा के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने मंच से वहां मौजूद लोगों से कहा कि आपने अधर्म को हराया। आपने विधर्मी का वध किया, जिसका पाप बड़ा होता जा रहा है। बाप भी बड़ा हो रहा है बेटा भी बड़ा होता जा रहा है। उनका वध करना चाहिए।

मालेगांव बम ब्लास्ट की आरोपी भोपाल सांसद के विवादित बोल यहीं खत्म नहीं हुए आगे उन्होंने  हिंदुओं के हित में खतरनाक बोलूंगी भी खतरनाक करूंगी भी। ये आप लोग जानते हैं।

जिस समय मैं ने चुनाव लड़ा और उस समय आपने कमल को वोट दिया, आपने साधु सन्यासी को चुना, आपने धर्म को चुना और अधर्म को हराया। आपने ऐसे उसका का वध किया, ऐसे उस अधर्मी विधर्मी और ऐसे व्यक्ति को जो हिंदुत्व को आतंकवादी और भगवा को आतंकवादी कहते थे, ऐसे लोगों को आपने समाप्त कर दिया, समापन कर दिया। इसलिए अब प्रकट करने की आवश्यकता नहीं है। आप अपने अधिकारों को जानिए और अपने मस्तिष्क और विवेक का उपयोग करके, जिससे मनुष्य की पहचान है वह विवेक होता है। आप ध्यान रखिए, बहुत इंतजार कर रहा है पाप बढ़ता चला जा रहा है, बाप बड़ा होते जा रहा है और बेटा भी बड़ा होते जा रहा है इसलिए अब अपने को उसके साथ चलना चाहिए और उसका वध करना चाहिए।

 

एक गलती कर दी जब आप वोट डालने गए जब आपने यह नहीं देखा कि आप किस को जिताने वाले हैं। अरे धन के लोभ में अगर धर्म को खो दिया तो आप हिंदू कहलाने के लायक नहीं हैं। ध्यान रखना इस चीज का अगर आपने धन के लोभ में साड़ी के लोभ में चूड़ी के लोभ में बिंदी के लोभ में.. विधर्मी तो कुछ भी बांटते हैं। जब उन्हें लगता है कि हमारे ऊपर पूरी बात आ गई है तो धन लुटाते हैं वैभव लुटाते हैं अपना सब कुछ लुटा देते हैं। लेकिन ध्यान रखना उनकी पैदाइश गलत है और यह भी ध्यान रखना चूड़ी बिंदी और यह सुहाग कोई खंडित व्यक्ति बांटे तो लेना नहीं। नहीं तो हमारा सुहाग सुरक्षित कैसे रहेगा यह विचार करना पड़ेगा। गलत बोल रही हूं, बोलूंगी.. जब हिंदुओं पर आंच जाएगी तो खतरनाक बोलूंगी भी और खतरनाक करूंगी भी, यह तो आप भी जानते होंगे। और एक चीज हम जहां खड़े होते हैं वह हिंदुत्व होता है, जहां हम खड़े होते हैं वहां विधर्मियों की आंख उठाने की हिम्मत नहीं होती है और आंख तिरछी करने की भी हिम्मत नहीं होती है।