रायपुर- बहुचर्चित नान घोटाला मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के बाद नए सिरे से जांच शुरू कर दी गई है. मालूम चला है कि इस घोटाले से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज जांच एजेंसी के हाथ आए हैं. बताते हैं कि इन दस्तावेजों को एजेंसी से जुड़े कुछ अधिकारियों ने पूर्व में जांच के दौरान हटा दिया था, लेकिन जांच एजेंसी में नए चीफ के आने के बाद इन दस्तावेजों को फिर से जांच के दायरे में लिया गया है.
सूत्रों की मानें तो इन दस्तावेजों में कई प्रभावशाली लोगों के नाम दर्ज हैं. चर्चा है कि पिछले दिनों डीजीपी डी एम अवस्थी ने घोटाले से जुड़े इन दस्तावेजों को लेकर भी मुख्यमंत्री से चर्चा की है. इधर सूत्रों का यह भी दावा है कि जांच एजेंसी के एक पूर्व अधिकारी के घर पिछले दिनों बैठक हुई थी. इस बैठक में दो-तीन अन्य अधिकारियों की मौजूदगी थी, जो पूर्व में घोटाले की जांच में शामिल थे. हालांकि इस बैठक में किन मुद्दों को लेकर चर्चा की गई है, इसका ब्यौरा फिलहाल सामने नहीं है. 
 

क्या अनिल टुटेजा की चिट्ठी के बाद बदली जांच की दिशा

नान घोटाला मामला सामने आने के बाद से ही मामले में अभियुक्त बनाए गए तत्कालीन एमडी अनिल टुटेजा अपने आप को निर्दोष बताते रहे हैं. उन्होंने जांच एजेंसियों से लेकर कोर्ट तक साक्ष्यों के आधार पर अपना पक्ष रखा है. लेकिन तमाम पक्षों के बीच भी उन्हें राहत नहीं मिली. सत्ता में कांग्रेस सरकार आने के बाद अनिल टुटेजा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र भेजकर निष्पक्ष जांच की मांग उठाई थी. 19 दिसंबर को मुख्यमंत्री के नाम लिखे गये पत्र में टुटेजा ने कहा था कि इस मामले में शुरु से ही एसीबी की भूमिका संदिग्ध रही है और उसके अधिकारियों ने सत्ता में बैठे शक्तिशाली लोगों को बचाने के लिये मेरे खिलाफ षडयंत्र कर मुझे आरोपी बना दिया. उन्होंने चुनाव के दौरान एसीबी द्वारा आनन फानन में चालान पेश करने की कार्रवाई को भी षडयंत्र का हिस्सा करार दिया और कहा कि तात्कालीन सरकार के दबाव में अधिकारियों ने आनन फानन में चालान पेश कर सत्ता से जुड़े शक्तिशाली लोगों को बचाने का प्रयास किया है और मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है. टुटेजा ने पत्र में लिखा था कि एसीबी ने फरवरी 2015 में जब एसीबी ने नान के कार्यालयों और अधिकारियों के आवासों पर छापेमार कार्रवाई की थी,तब उस दौरान एसीबी के अधिकारियों ने मीडिया को जानकारी दी थी कि नान में अनियमितता का यह मामला 2002 से चल रहा है और इस दौरान अरबों रुपये का भ्रष्टाचार किया जा रहा था. एसीबी ने मीडिया को यह भी बताया था कि जब्त किये गये दस्तावेजों में भ्रष्टाचार की राशि प्राप्त करने वाले कई दबंग नेताओं और अधिकारियों के नाम हैं. टुटेजा ने पत्र में लिखा कि दबंग नेताओं के नाम सामने आने के बाद एसीबी ने काल्पनिक कहानी तैयार की और आनन फानन में तीन महीने के भीतर प्रकरण की कथित जांच पूरी कर ली. टुटेजा ने लिखा है कि एसीबी को दो साल पहले ही नान प्रकरण से संबंधित सभी दस्तावेज मुहैया करा दिये गये थे, फिर चुनाव के दौरान 5 दिसंबर को न्यायालय में चालान पेश करने का क्या औचित्य था. टुटेजा ने अपने 6 पेज के पत्र में नान घोटाले से संबंधित तमाम तथ्यों की विस्तार से जानकारी लिखी. उन्होंने लिखा कि मतदान के बाद और मतगणना के पहले इस मामले में आनन फानन में चालान प्रस्तुत करना कई संदेह को जन्म देता है. इन तथ्यों के आधार पर टुटेजा ने मुख्यमंत्री से मामले की पूर्ण एवं निष्पक्ष जांच कराने और मामले के असली आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.