टोक्यो। ओलंपिक में हार-जीत का खेल जारी है. जीतने वाले खिलाड़ियों को स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक से नवाजा जा रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रजत को छोड़कर स्वर्ण और कांस्य पदक पूरी तरह से शुद्ध नहीं होते हैं. तो आखिर स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक को कैसे बनाया जाता है. आइए इस रहस्य को उजागर करते हैं.
स्वर्ण पदक पूरी तरह से सोने का नहीं होता है, क्योंकि अगर पूरी तरह से सोने का मेडल नरम होगा, ऐसे में सोने की जगह पूरी तरह से चांदी का यह बना होता है, जिस पर छह ग्राम सोने की परत चढ़ी होती है.
रसायन की भाषा में कहें तो सोना और चांदी दोनों ही स्थित तत्व होते हैं, जिन पर हवा का असर नहीं होता है. तुलनात्मक रूप से बात कहें तो चांदी की तुलना में सोना ज्यादा स्थित होता है. अगर दोनों पदक को पिघलाकर नाइट्रिक एसिड में डुबोया जाए तो चांदी का मेडल सिल्वर नाइट्रेट में बदल जाएगा, लेकिन सोना में बदलाव नहीं होगा. इस तरह से पदक से दोनों धातुओं को अलग-अलग किया जा सकता है.
स्वर्ण पदक का वजन 556 ग्राम होता है. छह ग्राम सोना और 550 ग्राम चांदी अलग-अलग कर कीमत निकालें तो चांदी की कीमत 34 हजार से कुछ ज्यादा और सोने की कीमत 28 हजार रुपए के करीब होती है. इस तरह से स्वर्ण पदक की कीमत 60 हजार रुपए से कुछ अधिक होती है.
लेकिन आप समझ सकते हैं बात केवल सोने और चांदी के धातु की नहीं हो रही है. जरूरत के समय जब खिलाड़ी इन पदक को बेचते हैं तो इसकी कीमत लाखों नहीं बल्कि करोड़ों में जाती है.
अब बात करें रजत पदक की तो यह इकलौता मेडल है जो पूरी तरह से शुद्ध धातु से बना होता है, जिसे रसायन की भाषा में Ag कहा जाता है. 550 ग्राम के इस मेडल को पिघलाकर आसानी से कप, प्लेट या सजावट की और कोई दूसरी चीज बना सकते हैं. इसके लिए केवल इसे 962 डिग्री सेंटिग्रेड में पिघलाना होगा.
अब बात कांस्य पदक की. यह एक ऐसा धातु है, जिसकी मोहन-जोदड़ो, हड़प्पा काल में पहचान हो चुकी थी. खिलाड़ियों को दिया जाने वाला कांस्य पदक भारतीय घरों में इस्तेमाल होने वाले कांसे के लोटा, थाली की तरह ही होता है, केवल शुद्धता कुछ ज्यादा होती है.
कांसे में शामिल तत्वों के बारे में अगर नहीं जानते तो बता दें कि यह तांबे और टीन से मिलाकर बनाया गया धातु है. खिलाड़ियों को दिए जाने वाले पदक में 95 प्रतिशत तांबा और 5 प्रतिशत जिंक होता है. इसे औद्योगिक भाषा ‘रेड ब्रास’ कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल वाल्व और प्लंबिंग में होगा. हालांकि, रेड ब्रास इससे कम शुद्ध होता है. औद्योगिक इस्तेमाल में आने वाले रेड ब्रास में 85 प्रतिशत तांबा और टीन, जिंक और अन्य धातुओं का मिश्रण होता है.
ओलंपिक में दिए जाने वाले स्वर्ण और रजत पदक की तुलना में कांस्य पदक सबसे ज्यादा कठोर होता है, लेकिन वजह में दोनों पदक से हल्का 450 ग्राम का होता है.
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यहां भी रिसाइकिल
पिछले कुछ दशकों से रिसाइकलिंग का चलन बढ़ गया है. इससे ओलंपिक भी अछूता नहीं है. खिलाड़ियों को दिया जाना पदक भी रिसाइकिल सामग्रियों से बना होता है.
बात करें टोक्यो ओलंपिक की तो सौ प्रतिशत पदक रिसाइकलिंग से बनाए गए हैं. वर्ष 2017 से लेकर 2019 के बीच जापान के हजारों लोगों ने अपने पुराने इलेक्ट्रानिक सामग्रियों का दान किया, जिनसे कीमती धातुओं को निकालकर पदकों का निर्माण किया गया है. सरकार ने लाखों टन उपकरणों को इकट्ठा करने के बाद 32 किलोग्राम सोना, 3500 किलोग्राम चांदी और 2200 किलोग्राम तांबा और जिंक संग्रहित कर पदक का निर्माण किया है.
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