सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को घर खरीदारों को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है. कोर्ट ने बैंकों और बिल्डरों के बीच संभावित साठगांठ की CBI जांच का आदेश दिया है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर की बेंच ने NCR क्षेत्र, विशेषकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में सबवेंशन योजनाओं के तहत फ्लैट बुक करने वाले खरीदारों की याचिकाओं पर सुनवाई की. प्रारंभिक सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि नोएडा, गुड़गांव, यमुना एक्सप्रेसवे, ग्रेटर नोएडा, मोहाली, मुंबई, कोलकाता और प्रयागराज में बैंकों और बिल्डरों के बीच साठगांठ के संकेत हैं. कोर्ट ने दोनों पक्षों को चेतावनी दी है कि यदि खरीदारों के साथ धोखा हुआ, तो कड़ा एक्शन लिया जाएगा.
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‘अगर डेडलाइन के अंदर काम किया…’
प्रॉपर्टी विशेषज्ञ प्रदीप मिश्रा के अनुसार, रेरा पहले से लागू है, लेकिन इसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश ने लोगों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं, लेकिन इसका वास्तविक लाभ तभी होगा जब यह आदेश जमीन पर लागू हो. यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्य किया गया, तो इससे घर खरीदारों को काफी राहत मिलेगी. इस आदेश के परिणामस्वरूप रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता की उम्मीद है. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के कारण बिल्डर अब अपने प्रोजेक्ट्स के प्रति सतर्क रहेंगे और समय पर पजेशन देने का प्रयास करेंगे. साथ ही, बैंक भी लोन देने में सावधानी बरतेंगे और केवल उन्हीं प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देंगे, जिनके दस्तावेज सही होंगे, जिससे खरीदार गलत प्रोजेक्ट में निवेश करने से बच सकेंगे.
क्या कहते हैं फ्लैट खरीदार?
नोएडा में फ्लैट खरीदारों के अधिकारों की रक्षा के लिए NEFOWA (नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ओनर वेलफेयर एसोसिएशन) कई वर्षों से सक्रिय है. NEFOWA के उपाध्यक्ष दिपांकर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश होम बायर्स के लिए सकारात्मक संकेत है, जिससे लाखों ऐसे खरीदारों को उम्मीद मिली है जिनकी मेहनत की कमाई फंसी हुई है. हालांकि, सीबीआई जांच की गति पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले अनुभवों के आधार पर इसकी रफ्तार धीमी हो सकती है. लेकिन यदि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होती है, तो उन्हें विश्वास है कि इसका परिणाम खरीदारों के पक्ष में आएगा.
एक और घर खरीदार दीपिका का कहना है कि बैंक सालों तक हमसे पैसे लेता है, लेकिन हमारे साथ खड़ा नहीं होता. खरीदारों की स्थिति यह है कि न तो उनका पैसा वापस मिलता है और न ही घर हासिल होता है. उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट मिडिल क्लास के लोगों की समस्याओं पर ध्यान देगी. सबसे बड़ी समस्या यह है कि बैंक केवल पैसे लेने में ही व्यस्त है, जबकि अगर खरीदार अपनी किस्तें रोकते हैं, तो उन पर पेनाल्टी लगाई जाती है.
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रुद्रा पैलेस हाइट के खरीदार नीरज का कहना है कि सबवेंशन स्कीम में बड़ा घोटाला हुआ है. इस योजना के तहत बिल्डर ने 80 प्रतिशत राशि पहले ही ले ली है, और घर खरीदार अब भी ब्याज चुका रहे हैं. बैंक ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया है, जबकि बिल्डर पैसे लेकर फरार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश से हमें काफी उम्मीद है. बैंक निर्माण के दौरान भी पैसे मांगता है, और सीएलपी योजना में भी अनियमितताएँ हैं. हमें आशा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद इस मामले की सही तरीके से जांच होगी और घर खरीदारों को राहत मिलेगी.
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लाखों लोगों के पैसे फंसे
देशभर में लाखों हाउसिंग प्रोजेक्ट्स हैं, जिनमें लोगों ने निवेश किया है, लेकिन उन्हें न तो घर मिल रहा है और न ही उनकी राशि वापस. यह स्थिति विशेष रूप से मुंबई, पुणे, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम जैसे बड़े शहरों में देखने को मिलती है, जहां बिल्डर आकर्षक वादे करके नए प्रोजेक्ट्स लॉन्च करते हैं. लोग अपनी सारी बचत लगाकर घर खरीदते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि बिल्डर धोखाधड़ी कर रहा है. कई मामलों में तो बिल्डर प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़कर भाग जाते हैं, जिससे लोग न्यायालय के चक्कर काटने के लिए मजबूर हो जाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई में यह स्पष्ट किया कि हजारों घर खरीदार एक ऐसी सबवेंशन योजना से प्रभावित हुए हैं, जिसमें बैंक और बिल्डर होम लोन की 60 से 70 प्रतिशत राशि अग्रिम रूप से प्रदान करते हैं. हालांकि, यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब परियोजनाएं निर्धारित समय पर पूरी नहीं हो पाती हैं.
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