हेमंत शर्मा इंदौर। एशिया की पहली कागज मिल में लगातार भ्रष्टाचार चरम पर है। अब तक केंद्र सरकार की भ्रष्टाचार पर केंद्र सरकार के उद्योग मंत्री की नजर अब तक क्यों नहीं पड़ी? इस पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा होता है। इसके साथ ही 469 करोड़ रुपए से रिनोवेट होने के बाद मिल में 1000 युवाओं को नौकरी दिए जाने का वादा किया गया था। लेकिन अब तक स्थानीय युवा को इसी नेपा लिमिटेड में रोजगार नहीं मिल रहा है। जिसके चलते नेपानगर से युवा पलायन करने को मजबूर हैं।

यहां के युवाओं का कहना है, ग्रेजुएशन करने के बाद भी मजदूरी का काम करने के लिए कुछ युवा मजबूर हैं। क्योंकि उन्हें अपने ही घर नेपानगर में रहना है। नेपा मिल का पहिया चलने के बाद नेपानगर की युवाओं की उम्मीद जागी थी। लेकिन यहां बैठे अधिकारियों की मनमानी के चलते स्थानीय युवाओं को रोजगार से वंचित रखा जा रहा है। दूसरे जिलों से युवाओं को लाकर रोजगार कैसे दिया जा रहा है। किसी कंपनी के माध्यम से क्या इसमें कोई भ्रष्टाचार हो रहा है इसको लेकर भी केंद्र जांच एजेंसियों को इस मामले की जांच करना चाहिए।

मैकेनिकल इंजीनियर जिन्हें पांच इंक्रीमेंट देकर मेंटेनेंस में लाया गया उन्हें बनाया गया जनरल मैनेजर मार्केटिंग

कंपनी के अंदर मिस मैनेजमेंट इतना हावी है कि पांच इंक्रीमेंट देकर मेंटेनेंस के लिए लाए गए मैकेनिकल इंजीनियर को जनरल मैनेजर मार्केटिंग बनाकर पोस्ट पर बैठा दिया गया। अजय गोयल जिन्हें मेंटेनेंस के नाम पर लाया गया था। जब तक प्रोजेक्ट मेंटेनेंस का चल रहा था तब तक मेंटेनेंस का काम देख रहे थे। लेकिन इसके बाद जनरल मैनेजर मार्केटिंग का प्रभार भी दे दिया गया। बताया जा रहा है कि मोटी तनख्वाह देकर इन्हें मेंटेनेंस के लिए लाया गया था। आज मेंटेनेंस छोड़ कर बाकी सभी काम देख रहे हैं । अगर कंपनी में सही आदमी सही काम करें तो शायद यह कंपनी फिर से मुनाफे में आ सकती है। लेकिन भ्रष्टाचार करने के लिए अधिकारियों ने अपने-अपने वजीर को अपने मुताबिक शतरंज की चाल के लिए खड़ा कर दिया है।

चीफ फाइनेंस ऑफिसर की एक पोस्ट पर दो आदमी

नेपा लिमिटेड के अंदर सैलरी बांटने के लिए फंड के लिए भी इस कंपनी को फिर सरकार का मुंह देखना पड़ता है। इस कंपनी में एडमिन में बैठे अधिकारियों की तनख्वाह समय पर आ रही है। जहां पर एक फाइनेंस ऑफिसर की आवश्यकता है उस जगह दो फाइनेंस ऑफिसर बैठा रखे हैं। जिस फाइनेंस ऑफिसर को अपने मूल पद पर भेजने के लिए रिक्रूट किया गया था, रिक्रूटमेंट के बावजूद पुराने फाइनेंस ऑफिसर को अपने पुराने विभाग में ही बैठा कर रखा है जबकि उन्हें उनके मूल विभाग पावर हाउस में भेजना था। CN वर्मा जिन्हें फाइनेंस ऑफिसर बनाया गया था उनकी जगह रिक्रूटमेंट कर विकास रेड्डी को लेकर आए जो की एक ठेकेदार के लड़के हैं। इसके साथ ही कंपनी के बाहर अपनी निजी फॉर्म में भी संचालित कर रहे हैं। विभाग में एक फाइनेंस ऑफिसर की आवश्यकता है। लेकिन दो फाइनेंस ऑफिसर यहां बैठकर मोटी तनख्वाह पा रहे हैं। ऐसे में एक ऑफिसर को उसके मूल विभाग में भेजा जाए तो वहां का काम भी शायद सुधर सकता है । लेकिन यहां के अधिकारी ऐसा बिल्कुल करने से पीछे हटे हुए हैं।

1956 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस नेपा मिल को जब देश को समर्पित किया तो सपना देखा था कि नेपानगर के युवाओं को कभी रोजगार के लिए नहीं भटकना होगा। इसके साथ ही आसपास के जिलों को भी रोजगार मिल सकेगा ।लेकिन अधिकारियों की मिली भगत और भ्रष्टाचार के चलते इस कंपनी की स्थिति बंद होने के कगार पर आ चुकी है ।ऐसे में स्थानीय सांसद भी कई बार कंपनी के अधिकारियों को फटकार लगा चुके हैं।

दो दिन पहले ही कंपनी के जनरल मैनेजर अजय गोयल को सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने फटकार लगाई थी। अब देखना होगा जनप्रतिनिधि इस कंपनी को बचाने के लिए क्या केंद्रीय जांच एजेंसियों से जांच करने की मांग करते हुए नजर आते हैं या फिर केंद्रीय उद्योग मंत्री अधिकारियों पर लगाम लगाने के लिए क्या कदम उठाते हुए नजर आते हैं ।इस खबर का पार्ट 3 नए मुद्दों के साथ जल्द ही आपके बीच lalluram.com लेकर फिर हाजिर होगा। 

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m