लक्ष्मीकरांत बंसोड़, बालोद. छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम पंचायत गब्दी, माहूद (अ) और डूड़िया तीनों गांव की सीमा पर एक निजी जमीन में 20 से अधिक बोरवेल खुले में पड़े हैं, जो हादसे को आमंत्रण दे रहा. कुछ महीने पहले जांजगीर जिले में हुए हादसे के बाद भी लोग लापरवाही बरत रहे. वहीं इस मामले से जिम्मेदार अफसर अनजान हैं.
निजी जमीन का मालिक दुर्ग के व्यक्ति बताए जा रहे. इस स्थान पर कुछ पुराने बोर पहले से थे, जहां लगभग दो साल पहले 20 से अधिक नए बोर किए गए, जो बिना सेफ्टी के खुले में पड़े हैं. कुछ के केसिंग पाइप बाहर निकाल लिए गए हैं तो जिन बोरवेल में केसिंग पाइप लगे हैं उन पर कवर नहीं लगाया गया है. सबसे ज्यादा भयावह स्थिति तो उन बोर की है जो केसिंग पाइप के चारों तरफ बाहर के हिस्से में गहरे खाई है, जिसमें पानी भरा हुआ है.
ग्रामीणों की माने तो इस जगह पर गांव के बच्चे और युवा सहित आम लोग टहलने और खेलने सुबह-शाम आते हैं. मवेशी चरते रहते हैं, ऐसी स्थिति रही तो कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. शासन-प्रशासन को ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई दूसरा राहुल इस तरह बोर के चक्रव्यूह में न फंसे.
आपको ज्ञात होगा कि जांजगीर चांपा जिले में 10 वर्षीय राहुल एक खुले बोर में गिर गया था, जिन्हें बाहर निकालने रेस्क्यू टीम द्वारा लगभग 104 घंटे बड़ी रेस्क्यू के बाद सकुशल बाहर निकाला गया था. इस दौरान हर कोई राहुल के सकुशल बोर से बाहर आने की दुआएं कर उन्हें देखने ललायित थे. आप समझ सकते हैं कि राहुल के माता पिता और राहुल पर उस वक्त क्या बीती होगी, क्या बालोद में उस पल को दोहराने इंतजार है. मामला संज्ञान में लाए जाने पर प्रशासन हरकत में आया है. संबंधित व्यक्ति को बुलाकर खुले पड़े बोरवेल को कवर करवाने की बात कह रहे हैं.
बड़ा सवाल
इतनी ज्यादा तादाद में एक ही स्थान पर बोर खनन के पूर्व क्या कोई अनुमति ली गई, क्या बिना डिस्टेंस के बोर खनन कराया जा सकता है, क्योंकि एक दूसरे बोर के डिस्टेंस 50 मीटर से अधिक नहीं है. आखिर इतने दिनों तक प्रशासन के नुमाइंदे क्षेत्र के पटवारी, तहसीलदार, पंचायत सचिव ध्यान क्यों नही दिए.
गौरतलब है कि 3 माह पूर्व जांजगीर-चांपा में राहुल के बोरवेल में गिरने के बाद सरकार ने खुले में पड़े सभी बोरवेल को बंद कराने के सख्त निर्देश दिए थे. बावजूद इसके बड़ी लापरवाही कैसे, गनीमत रही कि अब तक कोई दुर्घटना नहीं हुई.
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